Hamara Hathras

Latest News

सासनी 06 अक्टूबर । बुजुर्ग दिवस के अवसर पर नगर की सामाजिक-साहित्यिक संस्था साहित्यानंद ने बुजुर्गों के सम्मान में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। यह कार्यक्रम संस्था के संस्थापक पंडित रामनिवास उपाध्याय की अध्यक्षता में और वीरेंद्र जैन नारद के कुशल संचालन में सम्पन्न हुआ। गोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और शैलेश अवस्थी द्वारा सरस्वती वंदना के सस्वर पाठ से हुआ। कार्यक्रम में कवियों ने बुजुर्गों, समाज और जीवन के विविध पहलुओं पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। पंडित रामनिवास उपाध्याय ने कहा, “प्यार करो राधा-कृष्ण के जैसा, सेवा करो यूं श्रवण के जैसा, आतिथ्य करो शबरी के जैसा।” इसके बाद कवि नरेश निरंजन ने भावपूर्ण कविता सुनाई—“दिल मेरा गिरवी रखा है, मैं उसके इंतजार में उम्र काट रहा हूँ।” डॉ. प्रभात कुमार ने गड़बड़ सड़कों और समाज में टूटते रिश्तों पर व्यंग्यपूर्ण कविता प्रस्तुत की। इसके बाद विष्णु शर्मा ने ब्रज और कन्हैया के महत्व पर कविता सुनाई, जबकि डॉ. कासिम ने भाईचारे और द्वेष से मुक्त जीवन का संदेश साझा किया। पप्पू टेलर ने बुजुर्गों के कठिन अनुभवों और जीवन संघर्ष को अपनी कविता में व्यक्त किया। नेहा वार्ष्णेय ने बुजुर्गों के आशीर्वाद की महत्ता पर अपनी कविता प्रस्तुत की। संचालन कर रहे वीरेंद्र जैन नारद ने भी कविता प्रस्तुत करते हुए कहा, “बूढ़ा तब तक बूढ़ा नहीं कहलाता जब तक वह काम करता है; बूढ़ा ही बच्चों को जीने की राह बताता है।” अंत में पंडित रामनिवास उपाध्याय ने हास्यपूर्ण कविता के माध्यम से बुजुर्गों के प्रति सरकार की योजनाओं पर व्यंग्य किया—“योजनाएं बन रही हैं अब तो बस अखबार में।” इस कार्यक्रम में अखिल प्रकाश, सुरेश सरस, महेंद्र पाल, मृदुल, जगदीश जिंदल, प्रदीप भारती, योगेश त्रिवेदी और रमेश रंजिश सहित कई कवियों ने अपनी कविताओं से गोष्ठी को समृद्ध किया। गोष्ठी बुजुर्गों के सम्मान और समाज में उनकी भूमिका को प्रदर्शित करते हुए सफलतापूर्वक समाप्त हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts

You cannot copy content of this page