हाथरस 05 अक्टूबर । आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया गया। इस वर्ष संघ ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण किए हैं। कार्यक्रम में संघ के ब्रज प्रांत के प्रांत कार्यकारिणी सदस्य केशव मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता केशव जी, नगर संघचालक डॉ. पी.पी. सिंह तथा कार्यक्रम अध्यक्ष प्रमुख व्यवसायी दाऊदयाल शर्मा ने संयुक्त रूप से संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार, पूज्य गुरुजी एवं भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया। इसके उपरांत अतिथियों ने शस्त्र पूजन किया। कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा “भारती की जय विजय हो, हृदय में ले प्रेरणा, कर रहे हम साधना मातृभूमि की आराधना…” गीत प्रस्तुत किया गया, जिससे वातावरण राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो उठा। अपने संबोधन में मुख्य वक्ता केशव जी ने कहा कि “विचार और साधना की गौरवशाली यात्रा के साथ संघ ने 100 वर्षों में राष्ट्र, धर्म और समाज की सेवा में स्वयं को समर्पित किया है।” उन्होंने कहा कि परिस्थितियाँ कैसी भी रही हों, संघ ने हमेशा हर चुनौती का डटकर सामना किया। उन्होंने कहा कि “हिंदू समाज को तोड़ने का षड्यंत्र न केवल देश में बल्कि विदेशों से भी रचा गया, किंतु वे प्रयास कभी सफल नहीं हुए। भारत माता की जय की धुन और समाज जागरण के संकल्प के साथ संघ की यात्रा निरंतर चलती रही।” केशव जी ने कहा कि संघ की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हिंदू समाज के पुनर्जागरण के उद्देश्य से हुई थी। सौ वर्षों की इस यात्रा में संघ ने समाज की उपेक्षा, विरोध और स्वीकृति—तीनों का सामना किया है। आज समाज ने संघ के कार्यों को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि संघ में जाति, पंथ, ऊंच-नीच का कोई भेदभाव नहीं है — यहाँ संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में अग्रसर होना है। संघ इस शताब्दी वर्ष में “पंच परिवर्तन” के माध्यम से समाज परिवर्तन का कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि इन पंच परिवर्तनों को अपने जीवन में अपनाना आवश्यक है। मुख्य वक्ता ने सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए कहा कि “भगवान श्रीराम ने शबरी के बेर खाकर, निषादराज और जटायू को गले लगाकर समाज में वर्गभेद मिटाने का उदाहरण प्रस्तुत किया। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपनाकर ही देश में रामराज्य की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि शास्त्रों में देवी-देवताओं ने भी शस्त्र धारण किए हैं, और संघ में “दंड” भी उसी परंपरा का प्रतीक है — यह धर्म और समाज की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “जो राष्ट्र शक्तिशाली और साहसी रहेगा, वही विश्व पर नेतृत्व करेगा। इसलिए हमें शक्ति, साहस और संघर्षशीलता को जीवन का हिस्सा बनाना होगा।” अंत में केशव जी ने कहा कि विजयादशमी के इस पावन अवसर पर “अधर्म और समाज में व्याप्त बुराई रूपी रावण का वध कर राष्ट्र को सशक्त बनाने” का संकल्प लेना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन नगर कार्यवाह भानु ने किया। इस अवसर पर जय किशोर, नगर प्रचारक शिवम तथा विभाग, जिला एवं नगर के अनेक दायित्ववान कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।