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नई दिल्ली 24 सितम्बर । चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाने या जोड़ने की प्रक्रिया में गड़बड़ी रोकने के लिए नया ई-वेरिफिकेशन सिस्टम लागू किया है। अब किसी भी व्यक्ति के आवेदन पर आपत्ति दर्ज होने पर उसके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाएगा, ताकि फर्जी आवेदन और दुरुपयोग रोका जा सके। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि पहले लोग आपत्ति दर्ज करते समय किसी और का नाम और मोबाइल नंबर डाल देते थे, जिससे गलत नाम हटाने की कोशिशें होती थीं। नया सिस्टम इस दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह कदम किसी खास घटना के बाद नहीं, बल्कि पूरे मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है।

कर्नाटक की अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से नाम हटाने के 6,018 आवेदन ऑनलाइन आए थे, लेकिन इनमें से केवल 24 आवेदन ही सही पाए गए। शेष 5,994 आवेदन गलत पाए गए और उन्हें खारिज कर दिया गया। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि फॉर्म-7 भरने मात्र से नाम अपने आप नहीं हटता, बल्कि सत्यापन प्रक्रिया के बाद ही नाम हटाने या जोड़ने का निर्णय लिया जाता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी रोकने में देर करने का आरोप लगाया। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से पूछा कि अलंद मामले में वोटर डिलीशन के सबूत कब कर्नाटक सीआईडी को दिए जाएंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि ई-वेरिफिकेशन फीचर केवल पारदर्शिता बढ़ाने और गड़बड़ी रोकने के लिए जोड़ा गया है। ऑनलाइन आवेदन भरने के बावजूद, हर मामले की गहन जांच और सत्यापन के बाद ही नाम हटाने या जोड़ने का फैसला लिया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल वेरिफिकेशन बाध्यता से फर्जी आवेदन लगभग असंभव हो जाएंगे, जिससे नाम हटाने की प्रक्रिया साफ-सुथरी होगी और राजनीतिक विवाद कम होंगे। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि आयोग को हर मामले में ठोस सबूत जनता के सामने लाना होगा।

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