हाथरस 18 सितंबर । काका हाथरसी का आवागमन दिवस आज ब्रज कला केन्द्र एवं काका स्मारक आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में श्री राधाकृष्ण कृपा भवन आगरा रोड पर मनाया गया। कार्यक्रम का संयोजन ब्रज कला केन्द्र के अध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य तथा संचालन आशु कवि अनिल बौहरे ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेंद्र बांठिया ने की। इस अवसर पर आशु कवि अनिल बौहरे ने काका हाथरसी की संघर्षगाथा सुनाई। उन्होंने बताया कि काका जब मात्र 15 दिन के थे, तभी उनके पिता शिवलाल की प्लेग से मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी मां अशर्फी देवी उन्हें अपने मायके इगलास ले गईं, जहां काका और उनके बड़े भाई भजनलाल का लालन-पालन हुआ।
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि काका हाथरसी और वीरेंद्र तरुण कवियों का पहला दल था, जिसने विदेशी धरती पर काव्यपाठ करने का अवसर प्राप्त किया। काका की ईमानदारी, सत्य जीवन और साहित्य सेवा को याद किया गया। समारोह में काका की प्रमुख रचनाओं ‘दहेज की बारात’, ‘कालेज स्टूडेंट’ आदि का काव्यपाठ कर कवियों एवं श्रोताओं ने खूब आनंद लिया।
काव्यपाठ करने वाले कवियों में प्रमुख रूप से मीरा दीक्षित, रूपम कुशवाह, वीना गुप्ता एडवोकेट, बाला शर्मा, सुचेता ज़ोन, प्रेमसिंह यादव, श्याम बाबू चिंतन, विद्यासागर विकल, प्रभूदयाल दीक्षित प्रभू, गोपाल चतुर्वेदी, ग़ाफ़िल स्वामी, पं. ऋषि कुमार कौशिक, पं. अविनाश पचौरी, पूरन सागर, दीपक रफी, हेमेंद्र कुमार, जीवनलाल शर्मा आदि शामिल रहे। कार्यक्रम की व्यवस्था कपिल नरूला, संतोष उपाध्याय और पीयूष अग्निहोत्री ने संभाली। अध्यक्ष सुरेंद्र बांठिया ने काका के संस्मरण सुनाए। अंत में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने आभार व्यक्त किया।