
इस अवसर पर राधेश्याम मिश्र ने कहा कि इस परिचर्चा का मुख्य उद्देश्य प्रदेश सरकार की अवधारणा को धरातल पर उतारते हुए विभागवार चुनौतियों, प्राथमिकताओं एवं भावी योजनाओं पर मंथन करना है। उन्होंने कहा कि यह एक ओपन प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से प्राप्त सुझाव विज़न 2047 की आधारशिला बनेंगे।
अधिकारियों एवं विभागों से प्राप्त मुख्य सुझाव इस प्रकार रहे:
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प्रभागीय वनाधिकारी – वानिकी विकास एवं पर्यावरण सुधार।
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अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) – राजस्व प्रशासन में सुधार।
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अपर पुलिस अधीक्षक – सुरक्षा एवं सुशासन।
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शिक्षा, समाज कल्याण, दिव्यांगजन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, स्वास्थ्य विभाग – जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी संचालन एवं चुनौतियाँ।
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स्वयं सहायता समूह की सखियाँ एवं शिक्षकों – ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु सुझाव।
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वन एवं जल संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, भूगर्भ जल संरक्षण – संतुलित विकास हेतु ठोस बिंदु।
अन्य प्रबुद्धजनों ने भी अपने विचार साझा किए। मेजर आशीष शाक्य ने स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों पर, डॉ. शिवपाल सिंह जादौन ने विज्ञान एवं तकनीक से जुड़े सुझावों पर तथा श्री देवेंद्र ने ऊर्जा क्षेत्र की भावी योजनाओं पर अपने विचार रखे।मीडिया संवाद के दौरान प्रबुद्धजनों ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का संकल्प है कि 2047 में जब भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब हमारा राष्ट्र नई ऊँचाई पर पहुँचे। मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के 73 जिलों में वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर दो दिवसीय प्रवास के माध्यम से इस संकल्पना को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया है। इस विजन डॉक्यूमेंट में 3 थीम और 12 सेक्टर शामिल हैं। सुझाव पोर्टल के माध्यम से भी लिए जा रहे हैं, ताकि हाथरस को सुशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विकसित जनपद के रूप में स्थापित किया जा सके।मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि “विजन 2047 केवल सरकारी योजनाओं का खाका नहीं है, बल्कि यह समाज के प्रत्येक वर्ग की सक्रिय भागीदारी से ही संभव होगा।” उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए कि अधिकारी एवं कर्मचारी स्वयं तथा अधीनस्थों से क्यूआर कोड के माध्यम से सुझाव उपलब्ध कराएँ, जिससे समृद्ध उत्तर प्रदेश–विकसित उत्तर प्रदेश@2047 का सपना साकार हो सके।कार्यक्रम के अंत में मुख्य विकास अधिकारी ने प्रबुद्धजनों को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक, परियोजना निदेशक, अर्थ एवं संख्या अधिकारी, शिक्षा एवं समाज कल्याण अधिकारी, पंचायत राज अधिकारी, स्वयं सहायता समूह की सखियाँ, विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक एवं अन्य विभागीय लाभार्थी मौजूद रहे।