नई दिल्ली 26 अगस्त । भारत के प्रमुख निर्यातक संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) ने अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए बढ़े हुए टैरिफ (शुल्क) को लेकर गंभीर चिंता जताई है। अमेरिकी सरकार ने 27 अगस्त से भारतीय सामानों पर शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, जिससे तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा और परिधान निर्माताओं को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि यह कदम भारत के लिए एक बड़ा झटका है और इससे देश के सबसे बड़े निर्यात बाजार अमेरिका में भारतीय वस्तुओं का प्रवाह बाधित होगा। रल्हन के अनुसार, भारत के अमेरिका निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा (लगभग 47-48 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के) 30-35 प्रतिशत की कीमत के नुकसान का सामना कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस टैरिफ वृद्धि से चीन, वियतनाम, कंबोडिया, फिलीपींस और अन्य दक्षिण-पूर्वी एवं दक्षिण एशियाई देशों को फायदा मिलेगा, जिससे भारत की उत्पादकता इन देशों की तुलना में अप्रतिस्पर्धी हो जाएगी। कपड़ा, चमड़ा, झींगा, रसायन, हस्तशिल्प और कालीन जैसे श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्र इस कदम से खास तौर पर प्रभावित होंगे। राल्हन ने कहा, “तिरुपुर, नोएडा और सूरत के निर्माताओं ने लागत प्रतिस्पर्धा में गिरावट के कारण उत्पादन रोक दिया है। ये क्षेत्र वियतनाम और बांग्लादेश जैसे कम लागत वाले प्रतिद्वंद्वियों के सामने अपनी जमीन खो रहे हैं।”
फियो ने सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता की मांग की है, जिसमें कार्यशील पूंजी और तरलता बनाए रखने के लिए ब्याज अनुदान योजनाएं, निर्यात ऋण सहायता और आसान ऋण उपलब्धता शामिल है। विशेष रूप से एमएसएमई को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से सहयोग की जरूरत है। फियो ने सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से एक वर्ष की अवधि तक ऋणों के मूलधन और ब्याज के भुगतान पर रोक लगाने का भी आग्रह किया है।