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हाथरस 23 अगस्त । उत्तर प्रदेश शासन ने बासमती चावल की गुणवत्ता एवं निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश के 30 जनपदों में 11 कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और प्रयोग पर 60 दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध 1 अगस्त से लागू हुआ है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी निखिल देव तिवारी ने बताया कि शासनादेश विगत 18 अगस्त के तहत यह प्रतिबंध कीटनाशी अधिनियम 1968 की धारा 27(1) के अंतर्गत लगाया गया है। प्रतिबंधित जनपदों में आगरा, अलीगढ़, औरेया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर और सम्भल शामिल हैं। प्रतिबंधित कीटनाशकों में ट्राईसाइक्लाजोल, ब्यूप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरोपाइरीफास, टेबुकोनाजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेण्डाजिम एवं कार्वोफ्यूरान सम्मिलित हैं। कृषि विभाग ने सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि वे इन प्रतिबंधित कीटनाशकों की बिक्री न करें। ऐसा पाए जाने पर उनके खिलाफ कीटनाशी अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, विक्रेताओं को वैकल्पिक कीटनाशकों और आईपीएम पद्धतियों (समेकित कीट प्रबंधन) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। वैकल्पिक उपायों में नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, ब्युवेरिया बेसियाना, स्यूडोमोनास, मैटाराइजियम, बीटी, एनपीवी जैसे जैव कीटनाशकों की बिक्री बढ़ाने के साथ ही लाइट ट्रैप, फेरोमोन ट्रैप, स्टिकी ट्रैप और ट्राइकोकार्ड का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। किसानों को विशेष रूप से यह निर्देश दिया गया है कि फसल पकने के एक माह पूर्व से कीटनाशकों का प्रयोग पूरी तरह बंद कर दें, ताकि कटाई के बाद फसल में किसी भी प्रकार का कीटनाशक अवशेष न मिले।

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