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मथुरा 06 अगस्त । भावी शल्य चिकित्सकों को रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी की नवीनतम जानकारी से अवगत कराने के लिए के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के यूरोलॉजी विभाग द्वारा सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशक यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी एण्ड प्रत्यारोपण डॉ. शफीक अहमद ने शल्य चिकित्सकों को रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी की नवीनतम तथा गूढ़तम जानकारी देने के साथ कहा कि नवीनतम चिकित्सा जानकारी जुटाना प्रत्येक चिकित्सा पेशेवर का नैतिक दायित्व है।

सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का शुभारम्भ निदेशक यूरोलॉजी, एंड्रोलॉजी एण्ड प्रत्यारोपण डॉ. शफीक अहमद, डॉ. आशीष कुमार, डॉ. आमिर मुश्ताक, उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ए.के. जैन, विभागाध्यक्ष शल्य चिकित्सा डॉ. प्रवीण अग्रवाल, विभागाध्यक्ष महिला एवं प्रसूति रोग डॉ. वी.पी. पांडेय, यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ, डॉ. यूनिस मुश्ताक, विभागाध्यक्ष निश्चेतना डॉ. जयेश सिकरवार आदि ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। अतिथि परिचय के.डी. हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ और डॉ. यूनिस मुश्ताक ने दिया।

बीएलके मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट डॉ. शफीक अहमद ने शल्य चिकित्सकों को रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी को यूरोलॉजी की दुनिया में एक अभिनव चिकित्सा समाधान बताया। उन्होंने कहा कि यह गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है। इसके द्वारा बिना चीरा लगाए गुर्दे की पथरी और कुछ अन्य इंट्रारेनल समस्याओं का इलाज सम्भव है। उन्होंने कहा कि आरआईआरएस का प्राथमिक उद्देश्य गुर्दे की पथरी को निकालना या गुर्दे के छोटे ट्यूमर का इलाज करना है। उन्होंने बताया कि आरआईआरएस की विशेष रूप से उन स्थितियों में अनुशंसा की जाती है जब एक्स्ट्राकॉर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) या परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी (पीसीएनएल) जैसी अन्य शल्य चिकित्सा पद्धतियां प्रभावी या व्यवहार्य न हों।

डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी रक्तस्राव विकारों से पीड़ित, मोटे या कमज़ोर गुर्दे वाले मरीजों के लिए भी उपयुक्त है। इन मामलों में आरआईआरएस को प्राथमिकता इसलिए दी जाती है क्योंकि इसमें ओपन या परक्यूटेनियस सर्जरी की तुलना में कम जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि यदि किसी मरीज ने गुर्दे की पथरी के लिए अन्य उपचार करवाए हैं, जैसे कि लेजर लिथोट्रिप्सी या ईएसडब्ल्यूएल, और ये उपचार असफल हो गए हैं, तो अनुवर्ती विकल्प के रूप में आरआईआरएस की सिफारिश की जा सकती है। रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी में कोई चीरा नहीं लगाया जाता, जिससे रिकवरी का समय और ऑपरेशन के बाद की जटिलताएं काफी कम हो जाती हैं।

विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट डॉ. आमिर मुश्ताक ने भी रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लेजर लिथोट्रिप्सी, पथरी निकालने, स्टेंट लगाने, पथरी के टुकड़े करने आदि के तरीके बताए। उन्होंने बताया कि यह सर्जरी आमतौर पर लगभग 1 से 2 घंटे तक चलती है, जो पथरी के आकार और स्थान या इलाज की जा रही समस्या की जटिलता पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि आरआईआरएस एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है, इसलिए मरीज आमतौर पर उसी दिन या थोड़े समय के लिए अस्पताल में रहने के बाद घर जा सकते हैं।

यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ और डॉ. यूनिस मुश्ताक ने बताया कि आरआईआरएस उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जिनके गुर्दे की पथरी बहुत बड़ी या जटिल है और ईएसडब्लूएल जैसी सरल प्रक्रियाओं के लिए उपयुक्त नहीं है या जिनके गुर्दे के उन हिस्सों में पथरी है जहां पहुंचना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि यह सर्जरी उन व्यक्तियों के लिए स्थायी समाधान हो सकती है, जिनके बार-बार गुर्दे की पथरी होती है। चिकित्सकों ने बताया कि आरआईआरएस सर्जरी के बाद मरीजों को आमतौर पर कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाता है, फिर उन्हें छुट्टी दे दी जाती है। प्रक्रिया के बाद के दिनों में मरीज को बचे हुए पत्थर के टुकड़ों को बाहर निकालने के लिए खूब पानी पीना चाहिए और लगभग एक हफ्ते तक वजनदार कार्यों से बचना चाहिए।

चिकित्सकों ने बताया कि सर्जरी के बाद मरीजों को कुछ दिनों तक पेशाब करते समय हल्की बेचैनी या जलन का अनुभव हो सकता है, लेकिन ये लक्षण आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं। डॉ. सुप्रिया, डॉ. शिवांगी अग्रवाल तथा डॉ. दिव्या ने सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसमें जो जानकारी विशेषज्ञों से मिली, वह भविष्य में उनका मार्गदर्शन करेगी। सीएमई के समापन अवसर पर उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ए.के. जैन, डॉ. वी.पी. पांडेय, डॉ. जयेश सिकरवार आदि ने अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान कर उनका आभार माना। यूरोलॉजिस्ट डॉ. अकील लतीफ और डॉ. यूनिस मुश्ताक ने सफल आयोजन के लिए हॉस्पिटल प्रभारी अमित शर्मा, अखिलेश शुक्ला, अमर सिंह आदि के सहयोग की प्रशंसा की।

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