Hamara Hathras

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मुंबई/हाथरस 27 जुलाई । डिजिटल युग में गूगल मैप्स लोगों की राह आसान बनाने के लिए विकसित किया गया था, लेकिन हाल के दिनों में यह कई बार दुर्घटनाओं की वजह बनता नजर आ रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां गूगल मैप के गलत दिशानिर्देशों ने लोगों को मौत के मुंह तक पहुंचा दिया।

नवी मुंबई: कार खाड़ी में जा गिरी, महिला की जान बची

26 जुलाई 2025, नवी मुंबई के बेलापुर इलाके में गूगल मैप के चक्कर में एक महिला की कार सीधे खाड़ी में गिर गई। महिला गूगल मैप के भरोसे उलवे की ओर जा रही थी, लेकिन खाड़ी पुल के बजाय उसने पुल के नीचे का रास्ता पकड़ लिया, जिसे मैप ने सीधा रास्ता दिखाया था। इस दौरान उसकी कार ध्रुवतारा जेट्टी से खाड़ी में जा गिरी। गनीमत रही कि पास ही मौजूद समुद्री सुरक्षा पुलिस ने सतर्कता दिखाई और महिला को समय रहते बचा लिया गया। कार को बाद में क्रेन से बाहर निकाला गया।

महाराजगंज: फ्लाईओवर से लटक गई कार

9 जून 2025 को यूपी के महाराजगंज जिले के फरेंदा थाना क्षेत्र में गूगल मैप ने एक कार को निर्माणाधीन अधूरे फ्लाईओवर पर चढ़ा दिया। मैप द्वारा सुझाए रास्ते पर चलते हुए कार फ्लाईओवर पर पहुंची, लेकिन अधूरे काम की वजह से कार का अगला हिस्सा हवा में लटक गया। हालांकि हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

मुरादाबाद: गूगल मैप के चलते जान गई

4 अप्रैल 2025, मुरादाबाद जिले के मूढ़ापांडे थाना क्षेत्र में एक कार गूगल मैप के गलत सुझाव के कारण दुर्घटना का शिकार हो गई। चार लोग कार में सवार थे, जो नैनीताल से लौट रहे थे। रास्ता तलाशते समय गूगल मैप के रास्ते पर चलते हुए कार सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गई। हादसे में दो युवतियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

हाथरस: सड़क पर मिट्टी का टीला, टकराई कार

दिसंबर 2024 में हाथरस जिले में गूगल मैप की गलती से एक और हादसा हो गया। बरेली से मथुरा जाते वक्त एक कार निर्माणाधीन हाईवे पर मिट्टी के टीले से टकरा गई। मैप ने खराब सड़क पर मोड़ दे दिया, जबकि हाईवे पर कोई डायवर्जन या संकेत नहीं लगे थे। कार क्षतिग्रस्त हुई, परंतु सवार सभी लोग सुरक्षित रहे। इन घटनाओं से एक सवाल उठता है – क्या तकनीक पर पूरी तरह निर्भर होना सही है? विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल मैप एक सहायक उपकरण है, अंतिम निर्णय ड्राइवर की सतर्कता और अनुभव पर आधारित होना चाहिए। वहीं स्थानीय प्रशासन को भी निर्माणाधीन सड़कों, अधूरे पुलों और खतरनाक रास्तों पर स्पष्ट संकेतक लगाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

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