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नई दिल्ली 26 जुलाई । भारतीय रेलवे ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफल परीक्षण किया है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में इस ट्रेन के ड्राइविंग पावर कार का ट्रायल सफल रहा। इस बात की पुष्टि स्वयं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर वीडियो शेयर कर की। रेल मंत्री ने बताया कि भारत अब 1,200 हॉर्स पावर (HP) क्षमता वाली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है। यह कदम हरित ऊर्जा और शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

क्या है खास हाइड्रोजन ट्रेन में?

यह ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन गैस और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली उत्पन्न होती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें न धुआं निकलता है, न ही कोई प्रदूषक गैस – केवल जलवाष्प उत्सर्जित होती है। यह डीजल और विद्युत ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण अनुकूल है।

भविष्य की योजना और लागत

साल 2023 में राज्यसभा को सूचित करते हुए रेल मंत्री ने बताया था कि रेलवे “विरासत के लिए हाइड्रोजन” (Hydrogen for Heritage) योजना के तहत 35 हाइड्रोजन-संचालित ट्रेनें शुरू करने की तैयारी में है। एक ट्रेन की अनुमानित लागत ₹80 करोड़ बताई गई थी। इसके अतिरिक्त, उत्तर रेलवे के जींद-सोनीपत खंड पर एक डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) ट्रेन को हाइड्रोजन ईंधन प्रणाली में परिवर्तित करने के लिए ₹111.83 करोड़ की पायलट परियोजना चलाई जा रही है।

क्या होगा असर?

हालांकि हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआती लागत अधिक हो सकती है, लेकिन समय के साथ इनके परिचालन खर्च में गिरावट आने की उम्मीद है। यह पहल भारत को ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन हब बनाने और शुद्ध कार्बन उत्सर्जन में कटौती जैसे लक्ष्यों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी।

 

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