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हाथरस 22 जुलाई। जिले के आलू किसानों की चिंता इन दिनों बढ़ती जा रही है। बाजार में थोक भाव में गिरावट के चलते किसानों ने शीतगृहों से आलू निकालना रोक दिया है, जिससे इस साल अब तक सिर्फ 20 प्रतिशत आलू की ही निकासी हो पाई है। जबकि पिछले साल जुलाई के मध्य तक 30 प्रतिशत आलू की निकासी हो चुकी थी। आलू के गिरते भाव से हाथरस के किसान असमंजस और आर्थिक दबाव में हैं। यदि आने वाले समय में बाजार भाव नहीं सुधरे, तो किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। शासन को भाव स्थाई रखने और समय पर खरीद और निर्यात बढ़ाने जैसे उपायों पर विचार करना होगा।

भाव में भारी गिरावट

हाथरस निवासी आलू व्यापारी भूपेंद्र कुमार के अनुसार इस समय थोक बाजार में आलू का भाव 400 से 450 रुपये प्रति पैकेट (50 किलो) चल रहा है, जबकि पिछले साल यह 600 रुपये प्रति पैकेट था। फुटकर बाजार में हालांकि 500 से 600 रुपये प्रति पैकेट की दर बनी हुई है, लेकिन किसान अपनी उपज थोक में बेचते हैं और इसी भाव से घाटा झेल रहे हैं। किसान आत्माराम ने बताया कि अभी भाव कम चल रहा है, इसलिए हम आलू नहीं निकाल रहे हैं। जब भाव बढ़ेगा तब बिक्री करेंगे।

लागत से कम मिल रहा दाम

वहीं मुरसान निवासी किसान देवेंद्र सिंह ने बताया कि एक बीघा में आलू की खेती पर 15 से 20 हजार रुपये तक का खर्च आता है, जबकि उत्पादन 45 से 50 पैकेट प्रति बीघा होता है। ऐसे में मौजूदा थोक दर पर उन्हें लागत भी नहीं निकल पा रही। कुछ किसानों ने उन्नत बीज व तकनीक से ज्यादा पैदावार ली है, लेकिन भाव कम होने के कारण वे भी लाभ में नहीं हैं। किसान रूपकिशोर बोले कि फिलहाल बिक्री में नुकसान हो रहा है। जैसे ही बाजार में भाव सुधरेंगे, हम आलू निकाल लेंगे।

शीतगृहों से आलू की निकासी धीमी

उद्यान विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस साल जिले में 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती की गई थी और 150 शीतगृहों में करीब 14 लाख मीट्रिक टन आलू का भंडारण हुआ। इनमें से अब तक सिर्फ 2.94 लाख मीट्रिक टन (21%) की ही निकासी हो पाई है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत कम है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि शासनादेश के अनुसार शीतगृहों में आलू भंडारित रखने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। उससे पहले निकासी पूरी हो जाएगी।

हाथरस में आलू उत्पादन की स्थिति

जिले में इस वर्ष करीब 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की खेती हुई है। जिले में कुल 150 शीतगृह हैं, जिनकी भंडारण क्षमता लगभग 14 लाख मीट्रिक टन है। हालांकि अब तक केवल 2.94 लाख मीट्रिक टन यानी करीब 21% आलू की ही निकासी हो पाई है। गिरते थोक भाव के चलते किसानों ने शीतगृहों से आलू निकालना फिलहाल बंद कर दिया है, जिससे किसान भारी आर्थिक संकट में हैं और बेहतर दामों की उम्मीद लगाए बैठे हैं।


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