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नई दिल्ली 21 जुलाई । व्यक्तिगत करदाताओं को बिना जुर्माने के नियत तिथि के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करके टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह सिफारिश आयकर विधेयक 2025 की समीक्षा कर रही लोकसभा की प्रवर समिति ने की है। साथ ही समिति ने धार्मिक और परमार्थ ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान को कर मुक्त रखने की भी सिफारिश की है। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में गठित समिति ने सोमवार को लोकसभा में 4,575 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट पेश की। यह विधेयक देश के छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेने वाला है।

एनपीओ पर आय नहीं, शुद्ध आय पर लगे कर

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) की ‘प्राप्तियों’ पर कर लगाने का प्रस्ताव वास्तविक आय कराधान सिद्धांत का उल्लंघन है। समिति ने ‘आय’ शब्द को पुनः परिभाषित करने की सिफारिश करते हुए कहा कि केवल शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए।

गुमनाम दान पर कर लगाने का विरोध

प्रस्तावित विधेयक के खंड 337 में सभी पंजीकृत एनपीओ को मिलने वाले गुप्त दान पर 30% कर लगाने का प्रावधान है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों वाले ट्रस्टों को ही सीमित छूट दी गई है। समिति ने इसे महत्वपूर्ण चूक बताया और कहा कि इसका असर एनपीओ के एक बड़े हिस्से पर पड़ेगा।

समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक व परमार्थ दोनों उद्देश्यों से कार्य कर रहे ट्रस्टों को गुप्त दान पर कर से पूरी तरह छूट दी जाए, जैसा कि वर्तमान कानून की धारा 115बीबीसी में है। मौजूदा व्यवस्था में यदि ट्रस्ट का उद्देश्य पूरी तरह धार्मिक या परमार्थ है, तो दानदाता की पहचान न होने पर भी कर नहीं लगता।

रिफंड के लिए रिटर्न की बाध्यता खत्म करने का प्रस्ताव

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन व्यक्तियों की आमदनी टैक्स के दायरे में नहीं आती, लेकिन उनका टीडीएस कट गया है, उन्हें नियत तिथि के बाद भी बिना दंड के रिटर्न दाखिल कर रिफंड लेने की सुविधा दी जानी चाहिए। वर्तमान में आयकर रिटर्न की निर्धारित समय सीमा पार करने पर रिफंड का दावा नहीं किया जा सकता।

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