हाथरस 20 जुलाई । बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2020-21 में यूनिफॉर्म वितरण को लेकर हुए आर्थिक अनियमितताओं की जांच अब तेज हो गई है। इसी क्रम में विजिलेंस (सतर्कता अधिष्ठान) आगरा की एक टीम ने हाथरस के बीएसए कार्यालय पर छापा मारा और उस समय यूनिफॉर्म वितरण से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की। यह मामला शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। शासन की ओर से इस जांच के निष्कर्ष आने के बाद आगे की कार्रवाई की संभावना है। विजिलेंस टीम ने उस समय बीएसए कार्यालय में तैनात रहे तीन कर्मचारियों से पूछताछ की और यूनिफॉर्म वितरण से संबंधित अभिलेखों को खंगाला। टीम ने यूनिफॉर्म आपूर्ति करने वाली फर्म, उसके कोटेशन और गुणवत्ता प्रमाणपत्रों की प्रमाणित प्रतियां मांगी हैं। साथ ही बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से संबंधित ब्योरा तलब किया है। बीएसए कार्यालय में विजिलेंस टीम के आगमन से कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। कार्यालय में इस जांच को लेकर चर्चाएं होती रहीं। कई कर्मचारी आंतरिक समीक्षा और संभावित कार्रवाई को लेकर चिंतित नजर आए।
क्या है पूरा मामला?
शिक्षा सत्र 2020-21 में शासन से 64.42 करोड़ रुपये की धनराशि बेसिक शिक्षा विभाग को विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए प्राप्त हुई थी। यह धनराशि विद्यालय प्रबंध समितियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की गई थी, जो नियमानुसार चार सदस्यीय क्रय समिति बनाकर कपड़ा खरीदती और यूनिफॉर्म सिलवाकर वितरित करती थी।आरोप है कि तत्कालीन बीएसए मनोज मिश्रा ने नियमों को दरकिनार कर अलीगढ़ की एक फर्म के साथ मिलीभगत कर घोटाला किया, जिसमें सहपऊ क्षेत्र के एक शिक्षक की भी भूमिका बताई जा रही है। कई विद्यालयों की प्रबंध समितियों ने अपने चेक सीधे बीआरसी पर जमा करा दिए, और संबंधित फर्म ने कई मामलों में बिल तक उपलब्ध नहीं कराए।सूत्रों की मानें तो जांच के दबाव के चलते अब बीएसए कार्यालय के कर्मचारी बिलों और कागजी कार्रवाई को दुरुस्त करने में जुटे हैं।
विजिलेंस के वरिष्ठ अधीक्षक आलोक शर्मा ने बताया कि “तत्कालीन बीएसए मनोज मिश्रा पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच जारी है। यूनिफॉर्म वितरण भी जांच का अहम हिस्सा है, इसी सिलसिले में टीम बीएसए कार्यालय पहुंची थी।”