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हाथरस 12 जुलाई । मध्यप्रदेश के दूरस्थ आदिवासी अंचलों में महिलाओं के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता दंपति मुक्ता ओझा (प्रेसिडेंट, विकास धारा विधा महिला संस्थान) एवं राहुल देवेश्वर (सीईओ, बुद्ध ज्योति फाउंडेशन) का बृज कला केंद्र हाथरस द्वारा भव्य सम्मान समारोह आयोजित कर अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम के सहयोग से भावभीनी काव्य संध्या का भी आयोजन हुआ।

मुक्ता ओझा – राहुल देवेश्वर दंपति ने उन ग्रामों में, जहां महिलाएं दिनभर पानी लाने में व्यस्त रहती थीं, घर-घर पानी पहुंचाने का अभियान चलाया। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं को घरेलू उद्योगों जैसे अगरबत्ती निर्माण आदि में संलग्न कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। यह प्रयास नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक आदर्श बन गया है। समारोह में बृज कला केंद्र व राष्ट्रीय कवि संगम की ओर से उन्हें अंगवस्त्र, दाऊ बाबा-रेवती मैया का छवि चित्र तथा गैय्या-बछड़ा की पीतल मूर्ति भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ बेबी सभ्यता द्वारा मंत्रोच्चार तथा वरिष्ठ कवयित्री मीरा दीक्षित द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ।

कार्यक्रम का संचालन बृज कला केंद्र अध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने किया। काव्य संध्या में कवियों ने विविध रसों से वातावरण को भावविभोर कर दिया:

  • मनु दीक्षित की ओजस्वी पंक्तियाँ –
    “रंग लाएगी मेहनत, सवर तो कीजिए,
    देखकर मुश्किलों को मन न मारिए।”

  • वेदांजलि नै की ग़ज़ल –
    “चांदनी रात है, अब तो आ ही जाइए,
    फिर न कहना कि सनम ने बुलाया नहीं।”

  • रूपम कुशवाह की कविता –
    “क्या लगेगी अंधेरों से मुझको नज़र,
    रोशनी ने उतारी हैं बलाएं मेरी।”

  • सोनाली वार्ष्णेय
    “बुझने से जिस चिराग ने इंकार कर दिया,
    चक्कर लगा रही है हवा उसके आसपास।”

  • आशु कवि अनिल बौहरे ने भावभीनी कविता में कहा –
    “मैं तो इंतजार करता हूं स्वाति नक्षत्र की उस बूँद का,
    जो सीप में पड़ते ही मुक्ता बन जाती है।”

  • चाचा हाथरसी ने हास्य रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।

अध्यक्षीय काव्य पाठ में श्यामबाबू चिंतन ने अनेक दोहे सुनाते हुए कहा –
“जल की पूर्ति जो करे, प्रभु का सच्चा दास,
इससे बढ़कर दान नहीं, बुझावे जो प्यास।”

कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं कवियों का स्वागत एवं सम्मान रचित शर्मा, कपिनरूला व संतोष उपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर हरीशंकर वर्मा, वीना गुप्ता, नवल नरूला, राधाकृष्ण शर्मा, अविनाश पचौरी, सुनील दीक्षित, लक्ष्य वार्ष्णेय, प्रशांत, नैतिक दीक्षित आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। यह आयोजन न केवल समाजसेवा की प्रेरणास्रोत उपलब्धियों का अभिनंदन था, बल्कि साहित्यिक सांस्कृतिक चेतना को भी जागृत करने वाला एक महत्वपूर्ण क्षण बना।

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