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हाथरस 09 जुलाई । जनपद की सासनी तहसील के अंतर्गत स्थित ग्राम नगला मिश्रिया के सुपुत्र, सुप्रसिद्ध साहित्यकार त्रिलोक सिंह ठकुरेला की साहित्यिक प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष मान्यता प्राप्त हुई है। उनकी रचित प्रेरणादायक प्रार्थना ‘ऐसा वर दो’ को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा कक्षा 4 की हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा’ में स्थान दिया गया है। यह पाठ्यपुस्तक देशभर के सीबीएसई, केन्द्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और अनेक राज्य शिक्षा बोर्डों में पढ़ाई जाती है।

त्रिलोक सिंह ठकुरेला न केवल बाल साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं, बल्कि उन्होंने हिन्दी, तमिल, पंजाबी, गुजराती, बज्जिका आदि भाषाओं की बाल कहानियों का सम्पादन कर भाषाई एकता और सांस्कृतिक समरसता को भी सशक्त किया है। हिन्दी बाल कहानियाँ, तमिल बाल कहानियाँ, पंजाबी बाल कहानियाँ, समकालीन बाल कहानियाँ उनके चर्चित सम्पादित संग्रहों में शामिल हैं। उनकी रचनाओं को केरल सरकार एवं राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद, तिरुवनंतपुरम की कक्षा 5 की पुस्तक ‘हिंदी कक्षा-V भाग-2’, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की कक्षा 3 की ‘ऑक्सफ़ोर्ड एडवांटेज हिंदी पाठमाला भाग-2’ तथा महाराष्ट्र राज्य शिक्षा मंडल की कक्षा 10 की हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘हिंदी कुमारभारती’ में भी स्थान मिला है। उनकी रचनाएँ देश की 60 से अधिक पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित हो चुकी हैं।

कुण्डलिया छंद के पुनरुत्थान में भी त्रिलोक सिंह ठकुरेला का योगदान अतुलनीय है। वे इस विधा के अग्रणी साहित्यकारों में गिने जाते हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत ठकुरेला जी की कविताएँ आकाशवाणी और रेडियो मधुवन से समय-समय पर प्रसारित होती रही हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में ‘नया सवेरा’, ‘काव्यगंधा’, ‘समय की पगडंडियों पर’, ‘आनंद मंजरी’, और ‘सात रंग के घोड़े’ शामिल हैं।साहित्य की विभिन्न विधाओं में अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का सम्पादन कर चुके त्रिलोक सिंह ठकुरेला ने न केवल बाल साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि साहित्यिक समाज को एक नई दिशा भी दी है।

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