हाथरस 04 जुलाई । आज पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा ने पुलिस लाइन स्थित शैक्षिक कक्ष में जेटीसी रिक्रूट आरक्षियों को प्रशिक्षण के विविध पहलुओं पर संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने समाजशास्त्र और वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर गहन रूप से प्रकाश डाला। पुलिस अधीक्षक ने आरक्षियों को बताया कि प्रशिक्षण केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह उनके पूरे पुलिस करियर की मजबूत नींव रखता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक आरक्षी जनता से सीधे संपर्क में रहता है और पुलिस विभाग का मुख्य प्रतिनिधि चेहरा होता है। उसके आचरण से ही आमजन में पुलिस की छवि निर्मित होती है।
वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत : आधुनिक कार्यप्रणाली की नींव
पुलिस अधीक्षक श्री सिन्हा ने वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत, जिसे टेलरवाद भी कहा जाता है, की व्याख्या करते हुए बताया कि यह सिद्धांत कार्य की दक्षता को बढ़ाने हेतु वैज्ञानिक पद्धतियों के उपयोग पर आधारित है। इसे फ्रेडरिक विंसलो टेलर द्वारा विकसित किया गया था। वैज्ञानिक प्रबंधन के प्रमुख सिद्धांत: कार्य का वैज्ञानिक विभाजन, श्रमिकों का वैज्ञानिक प्रशिक्षण, डेटा का व्यवस्थित उपयोग, श्रमिकों के प्रदर्शन की निगरानी। उन्होंने बताया कि इन सिद्धांतों का अनुपालन पुलिस कार्यों में कार्यकुशलता, समय प्रबंधन और प्रभावी सेवा प्रदान करने में अत्यंत सहायक होता है।
समाजशास्त्र : पुलिसिंग का मानवीय पक्ष
समाजशास्त्र विषय पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है जो सामाजिक संबंधों, अंतःक्रियाओं और संस्थाओं को समझने में मदद करता है। समाजशास्त्र आरक्षियों को सामाजिक न्याय, समरसता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करने की दृष्टि प्रदान करता है। समाजशास्त्र के प्रमुख बिंदु : सामाजिक समस्याओं की पहचान और समाधान, सामाजिक नीतियों के निर्माण में सहयोग, सामाजिक न्याय और समानता का संवर्धन, वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण का विकास। पुलिस अधीक्षक ने आरक्षियों को उनके कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति सजग करते हुए प्रेरित किया कि वे प्रशिक्षण के दौरान न केवल विधिक ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि समाजिक संवेदनशीलता और प्रबंधन कुशलता को भी आत्मसात करें। इस अवसर पर उपस्थित समस्त प्रशिक्षु आरक्षियों ने गहन रुचि और उत्साह के साथ व्याख्यान को सुना और प्रशिक्षण की इस महत्वपूर्ण कड़ी को ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक बताया।