लखनऊ 03 जुलाई । उत्तर प्रदेश में आठ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के जिले के अंदर सामान्य तबादले किए गए हैं। इस प्रक्रिया में कुल 20,182 शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया है। उन्हें 12 जुलाई तक नए विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करना होगा, लेकिन अब शिक्षक-छात्र अनुपात की शर्त के कारण कई शिक्षक कार्यमुक्त नहीं हो पा रहे हैं, जिससे पूरे तबादला सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं।
मानव संपदा पोर्टल पर होगी कार्यवाही
बेसिक शिक्षा परिषद ने 30 जून की देर रात तबादला सूची जारी की थी। इसके बाद से शिक्षक और जिला अधिकारी निर्देशों की प्रतीक्षा में थे। अब परिषद की ओर से स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि मानव संपदा पोर्टल पर ही कार्यमुक्ति और कार्यभार ग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा है कि तबादला एवं समायोजन प्रक्रिया आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के मानकों के अनुरूप की जा रही है। शिक्षक-छात्र अनुपात को प्रभावित किए बिना ही कार्यमुक्त किया जाएगा। इसके अलावा कैडर, विषय और पदनाम की जांच के बाद ही किसी शिक्षक को कार्यभार दिया जाएगा।
शिक्षकों के बीच असमंजस
परिषद ने दावा किया था कि शिक्षक-छात्र अनुपात को ध्यान में रखकर तबादले किए जा रहे हैं, लेकिन अब यह निर्देश दिए जा रहे हैं कि यदि अनुपात प्रभावित होता है तो कार्यमुक्त न किया जाए। इससे जिलों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई शिक्षक जो नए विद्यालयों में योगदान देना चाहते हैं, स्थानीय अधिकारियों द्वारा रोके जा रहे हैं।
किस प्रकार किए गए तबादले
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ग्रामीण सेवा संवर्ग के शिक्षक केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही स्थानांतरित किए गए हैं।
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नगर सेवा संवर्ग के शिक्षकों को नगर क्षेत्र में ही तबादले मिले हैं।
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सभी बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) को निर्देश दिए गए हैं कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और नियमानुसार हो। किसी भी गड़बड़ी के लिए बीएसए स्वयं जिम्मेदार होंगे।
प्रशासनिक दुविधा या योजना में खामी?
विशेषज्ञों का कहना है कि तबादलों से पहले शिक्षक-छात्र अनुपात का विश्लेषण होना चाहिए था, जिससे कार्यमुक्ति में कोई बाधा न आती। अब शिक्षकों को स्थानांतरण का आदेश तो मिला है, लेकिन नए विद्यालयों में योगदान न कर पाने की स्थिति में वे मानसिक और प्रशासनिक रूप से असहज हैं।