लखनऊ 02 जुलाई । उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) आदेश को लेकर विरोध तेज हो गया है। इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। इस संबंध में दाखिल याचिकाओं पर 3 जुलाई (बृहस्पतिवार) को सुनवाई होगी। याचिकाएं सीतापुर जनपद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 51 छात्रों की ओर से दाखिल की गई हैं। इसके अतिरिक्त एक अन्य याचिका भी इसी मामले में दायर की गई है। याचिकाओं में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 16 जून 2025 को जारी आदेश को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है।
मर्जर से छात्रों को स्कूल तक पहुंच में दिक्कत: याचिकाकर्ता
याचियों का कहना है कि सरकार के इस आदेश के चलते अनेक छोटे बच्चों को अब अपने नजदीकी स्कूलों से दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने मर्जर को छात्रों के हितों के विरुद्ध बताते हुए इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की भी गुहार लगाई है।
कोर्ट में दोनों पक्षों की मौजूदगी
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता (CSC) शैलेंद्र कुमार सिंह ने पक्ष रखा, जबकि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एल.पी. मिश्र और अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा उपस्थित हुए। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को निर्धारित की है।
क्या है मर्जर आदेश?
बेसिक शिक्षा विभाग के 16 जून के आदेश के तहत, प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों को छात्र संख्या के आधार पर निकटवर्ती उच्च प्राथमिक विद्यालयों अथवा कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जा रहा है। इसका उद्देश्य स्कूलों की दक्षता एवं संसाधनों का समुचित उपयोग बताया जा रहा है, लेकिन इस पर शिक्षकों, अभिभावकों और शिक्षा विशेषज्ञों द्वारा गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।