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सिक्किम 20 जून । पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा की शुरुआत हो गई है। शुक्रवार को नाथुला दर्रे से पहले जत्थे को रवाना किया गया, जिसमें 33 श्रद्धालुओं के साथ ITBP के दो अधिकारी और एक डॉक्टर शामिल हैं। कुल 36 लोग इस पवित्र यात्रा पर निकले हैं। कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास माना जाता है। इस स्थान को लेकर मान्यता है कि यहां पहुंचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैन धर्म के अनुसार, यही स्थान है जहाँ प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। बौद्ध धर्म इसे चक्रसंवारा देवता का निवास मानता है। तिब्बती बोन धर्म में इसे पवित्र आत्माओं का वासस्थल माना जाता है। यह तीर्थयात्रा न केवल धार्मिक विश्वासों को दर्शाती है, बल्कि यह विभिन्न धर्मों और सभ्यताओं को एक सूत्र में बांधने वाली एक आध्यात्मिक यात्रा भी है।

राज्यपाल ने दिखाई हरी झंडी, जताया प्रधानमंत्री को आभार

सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने पहले जत्थे को रवाना करते हुए कहा कि यह हमारी संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा का विशेष क्षण है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि उनके प्रयासों से यह ऐतिहासिक यात्रा एक बार फिर संभव हो सकी है।

कठिन पर आस्था से भरी यात्रा

तीर्थयात्रियों को इस यात्रा के लिए विशेष शारीरिक और मानसिक तैयारी करनी होती है। पहले वे 18वें मील और फिर शेरथांग में रुककर उच्च हिमालयी वातावरण के अनुसार शरीर को ढालते हैं। यह प्रक्रिया शरीर को 14,000 फीट से अधिक की ऊंचाई के लिए तैयार करती है।

धर्म और पर्यटन को मिला नया आयाम

सिक्किम के पर्यटन मंत्री शेरिंग थेंडुप भूटिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इससे राज्य में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। “नाथुला अब सिर्फ सीमा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है।

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