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हाथरस 18 मई । छात्रवृत्ति घोटाले में वांछित चल रहे मुरलीधर गजानंद (एमजी) पॉलिटेक्निक, हाथरस के तत्कालीन प्रधानाचार्य नसीरुद्दीन को ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) कानपुर यूनिट ने हाथरस से गिरफ्तार कर लिया है। उन पर वित्तीय वर्ष 2009-10 में 433 छात्र-छात्राओं के नाम पर जारी 29.25 लाख रुपए की छात्रवृत्ति का गबन करने का गंभीर आरोप है। ईओडब्ल्यू कानपुर यूनिट के इंस्पेक्टर संजीव कुमार मिश्रा ने बताया कि मामले की जांच के दौरान सामने आया कि वर्ष 2009-10 में जनपद हाथरस के 25 शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राओं के लिए 2 करोड़ 32 लाख 911 रुपए की छात्रवृत्ति राशि अपलोड कराई गई थी। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा कोषागार के माध्यम से 60.78 लाख और नेशनल खाते से 2.74 करोड़ रुपए जारी किए गए।

जांच में गंभीर गड़बड़ियां उजागर

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि संबंधित अधिकारियों ने बिना सत्यापन के ही धनराशि सीधे स्कूलों को भेज दी। जारी धनराशि में से 71.55 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान दर्शाया गया। दो किस्तों में भेजी गई छात्रवृत्ति की पूरी राशि कहां खर्च हुई, इसका कोई प्रामाणिक अभिलेख नहीं मिला। विस्तृत जांच में यह तथ्य सामने आया कि पूरे जनपद में छात्रवृत्ति योजना के तहत 3.35 करोड़ रुपए खर्च दिखाए गए, जबकि आवश्यकता मात्र 1.62 करोड़ रुपए की थी। इस प्रकार 1.13 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि का गबन किया गया।

नसीरुद्दीन की गिरफ्तारी और मुकदमा

एमजी पॉलिटेक्निक हाथरस के तत्कालीन प्रधानाचार्य नसीरुद्दीन, निवासी गिजरौली, गीता विहार कॉलोनी, हाथरस, को इसी घोटाले में 29.25 लाख रुपए के गबन का आरोपी पाया गया। उनकी गिरफ्तारी के लिए टीम लंबे समय से सक्रिय थी। शनिवार सुबह 6 बजे ईओडब्ल्यू टीम ने उन्हें उनके निवास से गिरफ्तार किया। उनके खिलाफ थाना मुरसान में धोखाधड़ी, गबन, साजिश, कूटरचना, दस्तावेज नष्ट करना, और लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। गिरफ्तारी के बाद नसीरुद्दीन को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

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