हाथरस 16 मई । देशभर में साइबर अपराधों में इस्तेमाल हो रहे फर्जी सिम कार्डों की आपूर्ति को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ा खुलासा किया है। जांच एजेंसी ने हाथरस जिले के चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव मितई निवासी दो सिम डीलरों राजीव सागर और मुकेश कुमार को इस घोटाले में संलिप्त पाया है। इनमें से राजीव सागर को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मुकेश फरार बताया जा रहा है। विगत दिनों CBI की एक टीम ने गांव मितई में राजीव सागर के घर छापा मारा और करीब पांच घंटे की तलाशी के बाद दो मोबाइल फोन और एक स्कूटी बरामद की। राजीव को हिरासत में लेकर सीबीआई अपने साथ ले गई। जानकारी के अनुसार, राजीव B.Sc. द्वितीय वर्ष का छात्र है और पिछले कुछ वर्षों से सिम कार्ड बेचने के कार्य में लगा हुआ था। उसके पड़ोसी मुकेश कुमार ने ही उसे यह काम सिखाया था। CBI की जांच में सामने आया है कि राजीव और मुकेश ने मिलकर 100 से अधिक सिम कार्ड फर्जी केवाईसी के जरिए सक्रिय किए। ग्राहक को केवाईसी फेल होने का झांसा देकर दोबारा सिम एक्टिवेट किया जाता था। इन सिम कार्डों को बाद में देश के विभिन्न राज्यों और दक्षिण एशियाई देशों में साइबर फ्रॉड के लिए बेचा गया।
डीलरों का नेटवर्क, 1100 फर्जी सिम कार्ड
CBI को अब तक की जांच में यह भी पता चला है कि 39 सिम कार्ड डीलरों ने मिलकर करीब 1100 फर्जी सिम कार्ड बेच डाले। इनका उपयोग डिजिटल अरेस्ट, यूपीआई फ्रॉड, फर्जी निवेश योजनाओं, जासूसी, और फर्जी विज्ञापनों में किया जा रहा था। CBI ने अब तक पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के कई सिम डीलरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस रैकेट में उत्तर प्रदेश के 9 डीलर शामिल हैं, जिनमें हाथरस के भी दो नाम सामने आए हैं।
2200 शिकायतों के बाद खुली पोल
CBI को साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 2200 से अधिक शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद यह जांच शुरू हुई। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल देशभर में 64,000 से अधिक फर्जी सिम कार्ड बेचे गए, और 1,930 डीलरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर ठगी का तरीका है, जिसमें किसी व्यक्ति को खुद को कानून से घिरा हुआ बताकर ठगी की जाती है। अपराधी सिम कार्ड के जरिए फर्जी कॉल करते हैं, और पीड़ित से पैसे ऐंठते हैं। CBI की छापेमारी के बाद चंदपा इलाके में हड़कंप मच गया है। लोग सिम कार्ड डीलरों की भूमिका को लेकर चिंतित हैं, जबकि पुलिस और प्रशासन अब स्थानीय स्तर पर भी सख्ती बरतने की बात कह रहे हैं।