हाथरस 23 अप्रैल । शहर के प्रतिष्ठित बागला महाविद्यालय के प्राचार्य महावीर सिंह छौंकर को यौन शोषण के मामले में कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सीजेएम कोर्ट ने मामले में पुलिस द्वारा दाखिल रिपोर्ट को साक्ष्यहीन और अनुमान आधारित मानते हुए प्राचार्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और उन्हें जमानत दे दी। कुछ समय पूर्व कॉलेज की छात्राओं ने प्रोफेसर डॉ. रजनीश पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए थे। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रोफेसर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने प्राचार्य महावीर सिंह छौंकर पर भी सहयोग और संरक्षण का आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस का आरोप था कि प्राचार्य ने आरोपी प्रोफेसर की मदद की, पीड़िताओं को चुप कराने की कोशिश की और यूजीसी के नियमों के विरुद्ध एक पक्षीय जांच समिति का गठन किया। यहां तक कि आरोपी को कॉलेज की विभिन्न समितियों में पद भी दिए गए, जिससे उसका मनोबल बढ़ा। हालांकि, कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि छात्राओं ने अपने बयानों में प्राचार्य पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया। साथ ही, पुलिस की रिपोर्ट में कोई ठोस या प्रत्यक्ष प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया। कोर्ट ने माना कि केवल अनुमान के आधार पर गिरफ्तारी उचित नहीं है। प्राचार्य के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक व संस्थागत साजिश के तहत फंसाया गया, जिसका मकसद उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना था। अदालत ने इस तर्क को गंभीरता से लेते हुए गिरफ्तारी को निरस्त कर दिया। कोर्ट के फैसले को महाविद्यालय प्रबंधन और शैक्षणिक समुदाय ने न्याय की जीत बताया है।
पुलिस ने जल्दबाजी में प्राचार्य को गिरफ्तार किया
सेठ पीसी बागला महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष वैद्य गोपाल शरण गर्ग ने हमारा हाथरस को बताया कि इस प्रकरण में पुलिस ने जल्दबाजी में प्राचार्य को गिरफ्तार किया। लेकिन माननीय कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि किसी बड़ी साजिश के तहत बागला महाविद्यालय को बदनाम किया जा रहा है, जबकि शुरू से ही महाविद्यालय की ओर से पुलिस को जांच में आवश्यक सहयोग दिया गया।
समाज का पक्ष और प्रतिक्रिया
अखिल भारतीय जाट महासभा ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए पुलिस व प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महासभा के बयान में कहा गया कि प्रशासन, भाजपा नेताओं और अधिकारियों के दबाव में आकर पुलिस ने मिथ्या और ग़लत तथ्यों के आधार पर इन्वेस्टीगेशन की। बागला कॉलेज और प्राचार्य महावीर सिंह छौंकर को बदनाम करने की साजिश के तहत FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोर्ट ने सभी आरोपों को नकारते हुए दोषमुक्त कर दिया, जिससे न्यायपालिका पर आम जनता का विश्वास और गहरा हुआ है। महासभा ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में इस तरह की आधारहीन कार्यवाही किसी निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ की गई, तो वह आंदोलन करने को बाध्य होगी।