सिकंदराराऊ (हसायन) 03 फरवरी । वीणा वर वादिनी विद्या दायिनी माता बागेश्वरी सरस्वती के अवतरण दिवस पर अश्वनी मैमोरियल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैशोपुर में बसंत पंचमी पर बसंतोत्सव का पर्व हर्ष उल्लास के साथ परंपरागत तरीके से मनाया गया।सरस्वती माता के अवतरण दिवस पर विद्या दायिनी माता बागेश्वरी के नाम से सुविख्यात माता सरस्वती के छविचित्र पर विधि विधान वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन यज्ञ कराया गया।डायरेक्टर संचालनकर्ता भवतोष चौहान व उपप्रधानाचार्य आशुतोष चौहान ने कार्यक्रम में उपस्थित छात्र छात्राओ शिक्षक शिक्षकाओ को सम्बोधित करते हुए बताया कि माघ मास के शुक्ल पक्ष में वातावरण बसंत ऋतु का होने पर पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता हैं।उन्होने बताया कि बसंत पंचमी के दिन ही ब्रहमा जी ने हमारे ब्रह्रमांड की रचना की थी।ब्रह्रमा जी को लगा कि उनकी रचना शांत एवं मृत शरीर जैसी है,ब्रह्रमा जी ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। तो उन्होने भगवान श्री ब्रह्रमा जी से कहा कि आपकी मदद माता सरस्वती ही कर पाएगी। भगवान श्री ब्रह्रमा जी ने बसंत पंचमी के दिन ही माता सरस्वती की संरचना की थी।डायरेक्टर संचालनकर्ता भवतोष चौहान व उपप्रधानाचार्य आशुतोष चौहान ने बताया कि भगवान ब्रह्रमा जी ने माता सरस्वती के रूप में ऐसी देवी की संरचना की थी,जिनके चार हाथ थे। एक हाथ में वीणा दूसरे हाथ में पुस्तक तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। बसंत पंचमी के दिन मॉ सरस्वती जी प्रकट हुई,माता सरस्वती के प्रकट होने पर ब्रह्रमा जी ने माता सरस्वती जी से कहा कि इस श्रृष्टि में सभी जीव मूक है।माता सरस्वती ने अपने हाथ में लगे वीणा का वादन बजाकर ब्रह्रामांड में ध्वनि ला दी।बसंत पंचमी को ही ब्रह्रमा जी ने माता सरस्वती का नाम बागेश्वरी यानि वाणी की देवी रखा।बसंत पंचमी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती का तिलकोत्सव भी हुआ था।बसंत पंचमी को माता सरस्वती की पूजा अर्चना कर अपनी वाणी से माता सरस्वती का आहवान करने पर सरस्वती माता की कृपा हमेशा जन मानस पर बनी रहती है।उन्होने कहा कि ब्रह्रमांड में भगवान श्री ब्रह्रमा जी ने माता सरस्वती की संरचना नही की होती तो आज सम्पूर्ण ब्रह्रमांड मूक ही रहता। बसंत पंचमी पर वीणा वर वादिन माता बागेश्वरी सरस्वती के अवतरण दिवस पर हवन यज्ञ पूजा अर्चना कर संसार में सदा प्रसन्नता का वातावरण बनाए रखने की कामना की।