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मथुरा 18 जनवरी । आज की तेजी से विकसित होती दुनिया में शिक्षा पूरी तरह से नए अनुभवों तथा नए लक्ष्यों की ओर काम कर रही है। हमारे माता-पिता और दादा-दादी जिन कारणों से स्कूल जाते थे, वे अब उन कारणों से मेल नहीं खाते लिहाजा अपने नवाचार में मौलिक बदलाव कर हम सफलता की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं। यह बातें जीएल बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में आयोजित तीन दिवसीय ‘बिजनेस मॉडल कैनवास’ बूटकैम्प में डॉ. पुर्णेंदु शेखर पांडेय ने एमबीए तथा बीटेक के छात्र-छात्राओं को बताईं।

इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी) तथा इंस्टीट्यूशन इनोवेशन सेल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय बिजनेस मॉडल कैनवास के उद्घाटन सत्र में निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने बूटकैम्प के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रो. अवस्थी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि बिजनेस मॉडल कैनवास बूटकैम्प बिजनेस मॉडल कैनवास से जुड़ी जानकारी और ट्रेनिंग देने वाला कार्यक्रम होता है। बिजनेस मॉडल कैनवास एक रणनीतिक योजना उपकरण है। इसका इस्तेमाल  बिजनेस मॉडल को समझने और विकसित करने के लिए किया जाता है।

प्रो. अवस्थी ने कहा कि शिक्षा अपने आप में एक बहुस्तरीय शब्द है, इसलिए इसे कैसे बेहतर बनाया जाए, इस बारे में सोचना किसी भी नए विचार, तरीके और तकनीक को शामिल कर सकता है जो सीखने के अनुभव को बढ़ाता है और शिक्षा के परिणामों को बेहतर बनाता है। उन्होंने कहा कि सीखने को परिभाषित करने के जितने तरीके हैं, इस क्षेत्र को बेहतर बनाने और विकसित करने के तरीके भी उतने ही व्यापक हैं। प्रो. अवस्थी ने बताया कि शिक्षा में नवाचार का अंतिम लक्ष्य सभी स्तरों पर छात्र-छात्राओं के सीखने को अधिक व्यक्तिगत, आकर्षक और प्रभावी बनाना है। शिक्षा में नवाचार को अपनाकर, शिक्षक अधिक गतिशील और प्रभावी शिक्षण वातावरण बना सकते हैं जो छात्रों को आज की तेजी से बदलती दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और योग्यता विकसित करने में मदद करते हैं।

जीएल बजाज सेंटर फॉर इनक्यूबेशन एण्ड रिसर्च, ग्रेटर नोएडा के जनरल मैनेजर और इनक्यूबेशन सेंटर के प्रमुख डॉ. पुर्णेंदु शेखर पांडेय ने छात्र-छात्राओं को बताया कि बिजनेस मॉडल कैनवास व्यवसाय के कई डोमेन को सरल और कुशल तरीके से कवर करता है। मॉडल के अंत में आप फर्म या उत्पाद के मूल्य प्रस्ताव, बुनियादी ढांचे, ग्राहकों और वित्त के बारे में जानते हैं। आपकी व्यावसायिक समझ तीव्र गति से बढ़ती है क्योंकि व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों को बहुत ही कम समय में कवर किया जाता है।

यह मॉडल सभी व्यवसायों के लिए अनुकूल है। चाहे वह कोई बहुराष्ट्रीय कम्पनी हो या कोई स्टार्टअप, यह मॉडल उन सभी पर लागू किया जा सकता है। डॉ. पांडेय ने बताया कि पारम्परिक शिक्षा मॉडल केवल कुछ चुनिंदा लोगों के अद्वितीय कौशल और रुचियों की सेवा करते हैं। औसत पाठ्यक्रम छात्र-छात्राओं को वास्तविक दुनिया में आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार नहीं करते।

तीन दिवसीय ‘बिजनेस मॉडल कैनवास’ बूटकैम्प डॉ. शशी शेखर, बृजेश कुमार उमर, आईआईसी के संयोजक और फैकल्टी कोऑर्डिनेटर राधा रमण, विवेक भारद्वाज तथा छात्र समन्वयक टीम के सहयोग से अत्यंत सुनियोजित और समन्वित रूप से संचालित किया गया। हिमांशु राठौड़, रौनक शिवहरे, समीक्षा, याज्ञिक शर्मा, अमित सिंह, प्रतीक सिंह, शिप्रा सिंह, राधिका मित्तल आदि ने आयोजन को सुचारु रूप से सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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