अलीगढ़ 19 दिसंबर । मंगलायतन विश्वविद्यालय व एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड फार्मेसी (एबीएपी) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एवं एबीएपी का 18वां वार्षिक अधिवेशन का शुभारंभ आज हुआ। सम्मेलन में पांच सौ से अधिक शाधार्थियों ने शोध प्रत्र प्रस्तुतिकरण के लिए पंजीकरण कराया। वहंीं बायोटेक्नोलॉजी व फार्मेसी के क्षेत्र उल्लेखनीय कार्य करने वाले 26 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।
सम्मेलन का उद्घाटन उषा मार्टिन विश्वविद्यालय, रांची की कुलपति प्रो. मधुलिका कौशिक, व विशिष्ठ अतिथि अमेरिका की जार्जिया विश्वविद्यालय के डायरेक्टर प्रो. स्वामी मृत्युन्ति, महासचिव, एबीएपी प्रो. के.आर.एस. संबासिवा राव, कुलसचिव ब्रिगेडियर समर वीर सिंह, परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा, संयोजक और डीन रिसर्च प्रो. रविकांत ने मंा सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।
21 दिसंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सम्मेलन का विषय बायोफार्मास्यूटिकल्स और ट्रांसलेशन रिसर्च में उभरते रुझान एवं मानव स्वास्थ्य के लिए अनुसंधान है। सम्मेलन में नवोन्मेषकों और शोधकर्ताओं को सरकार, उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच वर्तमान परिदृश्य में अपनी जानकारी, विचारों और वैज्ञानिक प्रगति के संभावित निहितार्थों का आदान-प्रदान करने के लिए मंच उपलब्ध किया गया। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मुख्य अतिथि प्रो. मुधुलिका कौशिक ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी और फार्मेसी जगत में शोध कार्यों से बाजार को गति मिलेगी और सार्थक बदलाव भी आयेगा।
प्रो. स्वामी मृत्युन्ति ने कहा कि बायोफार्मास्यूटिकल्स और ट्रांसलेशन रिसर्च में उभरते रुझान एवं मानव स्वास्थ्य के लिए अनुसंधान सम्मेलन को बदलते दौर की जरूरत है। उन्होनें कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में इस तरह के प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें इस तरह के अति महत्वपूर्ण विषयों पर निरंतर प्रयास करते रहने चाहिए।
मंगलायतन विश्वविद्यालय के चेयरमैन हेमन्त गोयल और कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत कर रहे वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, शिक्षाविदों और छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि बदलते वैश्विक परिवेश में बायोफार्मास्यूटिकल्स और ट्रांसलेशन रिसर्च में मानव स्वास्थ्य के लिए अनुसंधान की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। मंगलायतन विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च प्रो. रविकांत ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन की उदेश्य और उपयोगिता पर अपनी बात रखी।
एबीएपी के महासचिव के कुलपति प्रो. के.आर.एस. संबासिवा राव ने शोधार्थियों के शोधपत्रों की सराहना करते हुए कहा कि मेडिकल और बायोमेडिकल के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजीज एक वरदान के रुप में उभर रही है।
प्रो. रिजवान हसन खान, प्रो. सुशांत श्रीवास्तव और प्रो. विनोद वी.टी. पाडिल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया। एबीएपी द्वारा नैनो साइंस एवं टेक्नोलॉजी में उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए डा. चित्तरंजन पात्रा को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आर.एस. प्रकाशम, डा. रामबाबू डंडेला, डा. नन्डेला रामा राव को वरिष्ठ वैचानिक सम्मान, डा. टिकम चंद डकल, डा. विशाल त्रिवेदी, डा. केवीजी चन्द्रशेखर को प्रतिभावान युवा वैज्ञानिक सम्मान से नवाजा गया। वहीं डा. नितिन सेठ, डा. आलोक धवन, डा. मोहन कृष्णा रेड्डी, डा. ज्वाय कृष्णा जेना को मानद फेलो बनाया। डा. देव प्रकाश दहिया, डा. चन्द्रमा पी. उपाध्याय, डा. श्याम एस. मोहपात्रा, डा. शुभ्रा मोहपात्रा, डा. रंजीत सिंहं, डा. हितेन्द्र एम. पटेल, डा. धु्रवा मालाकर, डा. अभय हरिराम पांडेय, डा. रविकांत, डा. दिनेश कुमार शर्मा, डा. अब्दुल वदूद सिद्दीकी, डा. सुनील गुप्ता को फेलो बनाया गया।
इस अवसर पर स्मारिका का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड व्याख्यान, गोल्ड मेडल आवार्ड व्याख्यान, वरिष्ठ वैज्ञानिक आवार्ड व्याख्यान, फेलो आवार्ड व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। आभार प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दीकी ने व्यक्त किया। संचालन दीपिका बांदिल ने किया। विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। इस दौरान डीन अकादमिक प्रो. राजीव शर्मा, आईक्यूएसी डारेक्टर डा. राजेश उपाध्याय, डारेक्टर, आईएलएसआर प्रो. जहीरूद्दीन, डा. रोबिन वर्मा, डा. आशुतोष सक्सेना आदि मौजूद थे।