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हाथरस 06 दिसंबर । आज उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल मिश्रा गुट द्वारा जीएसटी सर्वे के दौरान व्यापारियों को प्रताड़ित किए जाने के संदर्भ में वित्त मंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन डिप्टी कमिश्नर स्टेट जीएसटी अधिकारी को दिया गया, जिसमें मुख्य रूप से जिला अध्यक्ष विष्णु गौतम, जिला महामंत्री अनिल वार्ष्णेय तेल वाले, जिला कोषाध्यक्ष संजीव आधीवाल, प्रदेश मंत्री निर्देश चंद्र वार्ष्णेय, कमलकांत दोवरावाल, विष्णु पचौरी, रघुनाथ टालीवाल, नगर अध्यक्ष तरुण पंकज, नगर महामंत्री लोकेश अग्रवाल, युवा जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र वार्ष्णेय, राम अग्रवाल, जितेंद्र अग्रवाल, विकास गर्ग, संजय गुप्ता, नीरज अग्रवाल, अजय उपाध्याय, सुरेंद्र भाटिया, सुमित गर्ग, राजेश अग्रवाल, गजाधर अग्रवाल, नितिन अग्रवाल, धीरज गर्ग, विकास गर्ग, योगेश वार्ष्णेय, चंदन दोवरावाल आदि व्यापारी उपस्थित थे।

ज्ञापन में व्यापारियों ने कहा कि जब से जीएसटी कानून लागू हुआ है, व्यापारी अपने माल का निर्गमन बिल व ई-वे बिल के माध्यम से कर रहा है। इसी का परिणाम है कि जीएसटी का कलेक्शन निरंतर बढ़ते हुए 2 लाख करोड रुपए तक पहुंच गया है। सचल दल द्वारा रास्ते में माल को चेक किया जाता है। ई-वे बिल के माध्यम से बिल होने के बावजूद छोटी-छोटी मानवीय भूलों पर भी कोटा पूरा करने के नाम पर पेनल्टी वसूल की जाती है या उनका मानसिक उत्पीड़न किया जाता है, जो अमानवीय है। जीएसटी सर्वे के नाम पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर जाकर कर्मचारी एवं स्टाफ के मोबाइल इत्यादि जब्त कर लिए जाते हैं। सर्वे के दौरान व्यापारी की निर्माण इकाई, माल की लोडिंग, अनलोडिंग को बंद करा दिया जाता है, जो सर्वथा अनुचित है। सर्वे के दौरान व्यापारी के अकाउंटेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट व व्यापार मंडल के पदाधिकारी को व्यापारी के साथ नहीं बैठने दिया जाता, जबकि एक व्यापारी के सामने 8-10 अधिकारी सवाल जवाब करते हैं। व्यापारी को नजर बंद कर लिया जाता है, जो सर्वथा अनुचित है। सर्वे के दौरान अधिकारी व्यापारी को बार-बार साथ ले जाने और गिरफ्तार कर लेने की धमकी देते हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर अधिकारी जितनी संख्या में पहुंचते हैं, उतनी संख्या में तो पेशेवर अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस वाले भी नहीं जाते। अधिकारी व्यापारियों के साथ अनुचित व्यवहार एवं कर्मचारियों के साथ मारपीट तक कर देते हैं, जो सर्वथा अनुचित है। माल के निर्गमन बिल या ई-वे बिल में अगर कोई कमी है तो विक्रेता के जनपद जीएसटी मुख्यालय में उसके निस्तारण के लिए भेजा जाए। व्यापारी के माल की खरीद-बिक्री की जानकारी पोर्टल पर रहती है। अगर उसमें कोई फर्क है, तो उसका स्पष्टीकरण व्यापारी को नोटिस देकर मांगा जाए। सर्वे एवं छापे से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है, इसलिए सर्वे एवं छापे तत्काल प्रभाव से बंद किए जाएं। अगर सर्वे करना बहुत ही आवश्यक हो तो यह कार्रवाई डिजिटल सुपरविजन में की जाए, जिसमें एक वीडियोेग्राफर विभाग का और दूसरा वीडियोेाग्राफर व्यापारी का होना चाहिए। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने केंद्रीय वित्त मंत्री से मांग की कि व्यापारियों में सरकार की छवि को खराब करने वाले ऐसे अधिकारियों को व्यवहार में परिवर्तन लाने का आदेश पारित करें तथा जो अधिकारी विगत कई वर्षों से एक ही जनपद में काबिज है, उनका अविलंब ट्रांसफर करने का आदेश पारित करें।

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