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सासनी 21 नवम्बर। जब तक पेड़ पौधों का कटान नहीं रोका जाता तब तक स्वच्छ पर्यावरण की कल्पना करना भी असम्भव है। प्रदेश की सरकार हर वर्ष पौधा रोपण के नाम पर करोड़ों रुपया पानी की तरह तो बहा रही है धरती का श्रृंगार कहे जाने वाले पेड़ पौधों का कटान रोक पाने में विभागीय कर्मचारी पूरी तरह से विफल नजर आ रहे है। फल स्वरुप सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए पेड़ों का कटान जारी है। जो पर्यावरण के लिए गंभीर खतरे का संकेत है। अगर पर्यावरण सुरक्षा के प्रति इसी तरह लापरवाही बरती गई तो आने वाले समय में स्वच्छ वातावरण में सांस लेना भी दुर्लभ हो जाएगा। इसके लिए अवैध रूप से हो रहे वृक्षों के कटान को रोका जाए।किसी समय सासनी जो अमरूद,बेर, आम जैसे फलों के लिए विख्यात रही है जों आज वर्तमान में अपनी अंतिम सांसे ले रही है, जिसका मुख्य कारण है वृक्षों का कटान। जिसके कारण धरती का श्रृंगार उजड़ता जा रहा है। जहां पहले कभी बागवानी लोगों का शौक थी.आज थोड़े से लालच के पीछे भूखंडों का सौदा कर बाग के बाग उजड़ते जा रहे हैं। सरकार जितना पैसा पानी की तरह पौधा रोपण के नाम पर बहाती है उससे कहीं ज्यादा हो रहा वृक्षों का कटान सरकार की इस योजना पर पानी फेरता दिखाई दे रहा है। विभागीय लापरवाही के चलते सरकार द्वारा शीशम,नीम,पीपल, गूलर जैसे प्रतिबंधित किए गए वृक्षों तक का कटान हो जाता है। अगर शुद्ध पर्यावरण को सुरक्षित रखना है तो सबसे पहले वृक्षों के नित्य प्रति होते कटान पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। वरना रोज न‌ए वृक्ष लगाए जाते हैं और कितने बहाल होते यह कभी किसी से छिपा नहीं. इसके लिए जरूरी है कि पहले वृक्षों के कटान पर अंकुश लगाया जाए उसके बाद पौधारोपण जैसे कार्यक्रम को गति प्रदान की जाए तभी क्षेत्र में शुद्ध पर्यावरण की कल्पना को साकार किया जा सकता है।

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