विज्ञान व भारतीय संस्कृति की जड़ों से विद्यार्थियों को जोड़ते हुए प्रोफेसर मन्ना ने कहा कि विकसित भारत अभियान के सपने को साकार करने के लिए युवाओं को संकल्पबद्ध होकर कर्तव्यनिष्ठा से काम करना चाहिए। आज ज्ञान, विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत का दुनियाभर में नाम हो रहा है, इसके पीछे भारतीय ज्ञान संपदा का अहम योगदान है। विकसित भारत के युवा आकांक्षी मानसिकताओं का पोषण के लिए देश के युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़ाव रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि देश की जीडीपी दर में बढ़ोतरी के पीछे भारतीयों की कार्यकुशलता और निरंतर परिश्रम करने की योग्यता है। उन्होंने मंगलायतन विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को लेकर प्रसन्नता व्यक्त की।
एमयू कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने कहा कि आज का व्याख्यान बेहद प्रेरणादायक रहा है, जिससे युवा वर्ग को सामाजिक व सांस्कृतिक मर्यादाओं के पालन में भी शिक्षा मिली है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रत्येक देशवासी को व्यक्तिगत रूप से भी विकसित होना होगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में कुलसचिव बिग्रेडियर समरवीर सिंह ने अतिथि परिचय दिया एवं स्वागत भाषण डीन एकेडमिक प्रो. राजीव शर्मा का रहा। समन्वयक डा. किशनपाल सिंह ने आभार व्यक्त किया। सह समन्वयक डा. प्रियांक गुप्ता व अवतार कुंतल रहे। संचालन लुबना अंसारी ने किया। इस अवसर पर सीयू की प्रो. अर्चिता नंदी, प्रो. रविकांत, प्रो. अब्दुल वदूद सिद्दीकी, प्रो. आरके शर्मा, प्रो. प्रदीप कुमार, डा. मनोज वाष्र्णेय, डा. सोनी सिंह, डा. रोबिन वर्मा, लव मित्तल, राजकिरन सिंह, शिवानी वाष्र्णेय, दिव्या माहेश्वरी, ललित किशोर, अर्शिल नूर आदि शामिल थे।