अलीगढ़ 17 नवंबर । उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इसमें अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट भी शामिल है। इस उपचुनाव में सियासी घमासान चरम पर है। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आजाद समाज पार्टी जैसे बड़े राजनीतिक दल अपने-अपने दांव लगा रहे हैं। इस उपचुनाव में जाट समुदाय का वोट बैंक एक अहम मुद्दा उभर कर सामने आया है. सवाल ये है कि इस निर्णायक वोट बैंक का झुकाव किस ओर होगा और इसका लाभ किस पार्टी को मिलेगा। अलीगढ़ की खैर विधानसभा में 20 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार 18 नवंबर शाम को थम जाएगा। प्रचार के अंतिम दिन प्रत्याशी व समर्थक अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे व मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।
आपको बता दें कि इस जाट समुदाय को साधने के लिए सभी नेता और पार्टियां रणनीतियां बना रही हैं। खैर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने आरएलडी के साथ गठबंधन किया है। इसका मकसद साफ है कि जाट वोट बैंक को अपने पक्ष में करना. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय का असर काफी मजबूत है और भाजपा इस समुदाय को अपने पाले में करना चाहती है. आरएलडी का नेतृत्व जाट नेता जयंत चौधरी कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। जाट समुदाय का एक बड़ा हिस्सा अभी भी केंद्र सरकार की नीतियों और कुछ मुद्दों, खासकर किसान आंदोलन को लेकर नाराज चल रहा है। इस नाराजगी का फायदा सपा और अन्य विपक्षी दल उठाने की कोशिश कर रहे हैं। खैर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक ऐसी रणनीति अपनाई है, जिससे वो जाट वोट बैंक पर पकड़ बना सके। सपा प्रत्याशी के पति खुद जाट समुदाय से आते हैं और उनके ससुर तेजवीर सिंह गुड्डू जाट समाज में एक मजबूत नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। जाट समाज में तेजवीर सिंह की पहचान और प्रभाव के कारण सपा को उम्मीद है कि जाट समुदाय के वोट उनकी ओर आकर्षित होंगे। सपा ने जाट उम्मीदवार को सामने रखकर जाट समुदाय की सहानुभूति को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। इसके अलावा सपा का समर्थन करने वाले अन्य जाट नेता भी इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जाट समुदाय के मुद्दों पर सपा की पक्षधरता, किसानों के समर्थन में लिए गए सपा के स्टैंड और अन्य स्थानीय मुद्दों पर सपा का रुख जाट वोट बैंक को सपा की ओर आकर्षित कर सकता है। जाट समुदाय इस उपचुनाव में एक अहम भूमिका निभाने जा रहा है, क्योंकि यह वोट बैंक निर्णायक साबित हो सकता है। जाट समुदाय में सबसे प्रमुख मुद्दे किसान संकट, रोजगार और शिक्षा से जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार की नीतियों से असंतोष, विशेषकर किसान आंदोलन से जुड़ी बातों पर जाट समुदाय के बीच नाराजगी भी है. पिछले पांच चुनावों में एक बार जीत दर्ज करने वाली और चार बार दूसरे स्थान पर रही बसपा सपा व भाजपा के बीच सीधे मुकाबले में तीसरा कोण बनने के लिए भी संघर्ष करती दिख रही है।
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने की सभा
खैर उपचुनाव में जनसभा को संबोधित करते हुए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा के प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर पर विश्वास करें और एक बार सेवा का मौका दीजिए।सुरेंद्र दिलेर ने बचपन से ही राजनीति को बड़े नजदीकी से देखा। इनके पिताजी आज इनके साथ नहीं हैं। इनको लग रहा होगा कि कंधे पर बहुत बोझ आ गया है, लेकिन यह बोझ नहीं है, यह आशीर्वाद है। यह आशीर्वाद हमेशा आगे बढ़ाएगा, ताकत देगा, घर पर नहीं बैठने देगा, जनता के लिए दौड़ेगा और पसीना बहाएगा।
खैर क्षेत्र की बाइसी इन दिनों चर्चा में
ब्राह्मणों के 22 गांव एकसाथ होने के कारण इस क्षेत्र को ब्राह्मणों की बाइसी कहा जाता है। खैर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सभी दलों की नजर बाइसी पर है। इन 22 गांवों में करीब 40 हजार वोटर हैं, इसलिए प्रत्येक प्रत्याशी इन वोटरों का समर्थन पाने के लिए लालायित रहता है। क्षेत्र में कहावत है कि जिसके साथ बाइसी…उसके सिर पर ताज।खैर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा ने 13 नवंबर को बाइसी के गांव जरारा में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को रहना था, लेकिन धुंध छाए रहने के कारण उपमुख्यमंत्री नहीं आ सके। उन्होंने मोबाइल पर सम्मेलन को संबोधित किया था। भाजपा की पूरी कोशिश बाइसी के ब्राह्मणों की ताकत को भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर की ओर झुकाने की थी। इसी तरह विधानसभा में नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय ने बाइसी के गांव अंडला में सपा प्रत्याशी चारू कैन के समर्थन में नुक्कड़ सभा को संबोधित किया।
अनिश्चित है जाट वोट बैंक का झुकाव
पार्टी चाहे कोई भी हो जाट समुदाय से जुड़े मुद्दे चुनावी एजेंडे का अहम हिस्सा बने हुए हैं। यह समुदाय देख रहा है कि कौन सी पार्टी उनके मुद्दों को सबसे बेहतर तरीके से हल कर सकती है और किसके साथ उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। इसी वजह से इस बार जाट वोट बैंक का झुकाव अनिश्चित है और यह विभिन्न पार्टियों के लिए चुनौती बन गया है। खैर उपचुनाव में जाट वोट बैंक का असर किस तरह से पड़ सकता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर पार्टी अपने-अपने उम्मीदवार के पक्ष में जाट नेताओं और जाट वोट बैंक को साधने में लगी हुई है. भाजपा और आरएलडी का गठबंधन उन्हें एक मजबूत स्थिति में लाता है लेकिन सपा के जाट समुदाय के प्रति विशेष संबंध, बसपा की रणनीति और आजाद समाज पार्टी की नई उम्मीदें इस चुनाव को दिलचस्प बना रही हैं। कहा जा सकता है कि अभी तक खैर विधानसभा का कोई स्पष्ट विजेता नहीं उभर कर आया है. भाजपा को आरएलडी के साथ होने के बावजूद जाट वोट बैंक की पूरी गारंटी नहीं है जबकि सपा का भी इस पर दावा मजबूत माना जा रहा है। बसपा और आजाद समाज पार्टी ने भी अपनी-अपनी रणनीति बनाई है और कोशिश कर रहे हैं कि जाट वोट उनके पक्ष में जाए।
प्रत्याशी, पार्टी का नाम
- पहल सिंह, बहुजन समाज पार्टी
- सुरेंद्र दिलेर, भारतीय जनता पार्टी
- नितिन कुमार चोटेल, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम )
- चारू कैन, समाजवादी पार्टी
- भूपेंद्र कुमार धनगर, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी