Hamara Hathras

15/10/2024 8:03 pm

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सिकंदराराऊ (हसायन) 15 अक्टूबर । स्थानीय कस्बा में श्रीराम युवा क्लब के तत्वावधान में श्रीरामलीला महोत्सव के तहत विजय दशमी के पर्व पर लंकापति लंकेश दशानंन रावण के पुतला दहन के बाद से घर घर में प्राचीन वैदिक सनातन धर्म की परंपरा के तहत बच्चो के कस्बा के गली मुहल्लो के अलावा घर घर में पहुंचकर टेसू झांझी के गीत गाकर टेसू झांझी का दान मांगने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है।स्थानीय कस्बा में छोटे छोटे बच्चो के द्वारा संध्या शाम के प्रहर के प्रारंभ होते ही घर घर से टेसू झांझी लेकर गली मुहल्लों में घर घर की ओर दान मांगने के लिए निकल पडते है।विजय दशमी के पर्व से शुरू हुआ टेसू झांझी के दान मांगने का सिलसिला चतुर्थ दिवस यानि चौथे दिन भी लगातार जारी रहा।छोटे छोटे बच्चो के द्वारा टेसू झांझी प्रज्जवलित कर उन्हे घर घर पहुंचकर टेसू झांझी के गीत का गुणगान कर दान मांगने के लिए मनुहार करते हुए दिखाई दे जाते है।टेसू झांझी का दान मांगने के घर घर पहुंच रहे बच्चो को टेसू की प्राचीन प्रचलित कथा के बारे में कोई ज्ञान नही है,उन्हे तो बस हर रोज गली मुहल्लें मे घर घर पहुंचकर टेसू टेसू आए झांझी झांझी आए के गीत बाल बच्चो के द्वारा बाल मनुहार कर तोतले स्वर में गुण्गान करते हुए दिखाई दे जाते है।टेस झांझी के पीछे एक प्राचीन प्रचलित कथा वर्तमान में भगवान खाटू श्याम से जुडी है।महाभारत में भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे।बर्बरीक बेहद शक्तिशाली रहे थे।भगवान श्रीकृष्ण को पता था कि अगर बर्बरीक कौरव सेना की तरफ से युद्ध लडा तो एक ही दिन में युद्ध समाप्त कर देगा।इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने साधु बेश में बर्बरीक से उनका सिर दान में मांग लिया।
बर्बरीक ने जब भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा मांगे गए सिर को अपर्ण करने के उपरांत बर्बरीक ने कहा कि उसे महाभारत का युद्ध देखना है।इसीलिए बर्बरीक के सिर को तीन डंडियो के सहारे पर्वत पर रख दिया।जहां से बर्बरीक ने पूरा महाभारत देखा भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए वरदान में आज कलियुग में वह हारे का सहारा बनकर दीन दुखियो के दर्द दूर कर खाटू श्याम के नाम से सर्वत्र जगह पर पूजे जा रहे है।बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि उनकी तो अभी शादी भी नही हुई और न बह बच्चो के साथ खेल पाए है।तो भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि वह हर वर्ष बच्चों के साथ टेूसू के स्वरूप में घर घर बच्चो के साथ खेलते रहेगे।साथ ही विवाह के दौरान बर्बरीक यानि मटकी का स्वरूप बरमनिया के बिना कोई विवाह पूर्ण नही माना जाएगा।टेंसू की इसी कथा के बाद से यही टेसू टेंसू झांझी के गीत गुनगुनाकर बच्चो के द्वारा दान मांग जाता है।छोटे छोटे बच्चे बास की तीन खप्पचो पर बर्बरीक के स्वरूप टेसू का शीश बनाकर टेसू के नाम पर तो बच्चियो बालिकाओ के द्वारा छेदो वाली छोटी मटकी में दीपक जलाकर टेसू की पत्नी के नाम पर दान मांगते दिखाई देते है।बच्चो के द्वारा वर्तमान में टेसू झांझी के गीत इन दिनो बाल मनुहार के साथ तोतली स्वर की भाषा में काफी अनौखे व बिचलित सुनाई पडते है।
बच्चो के द्वारा इन दिनो शाम का प्रहर शुरू होते ही टेसू झांझी मांगने का प्रचिलित पौराणिक खेल प्रारंभ कर दिया जाता है।बच्चो के टेसू झांझी के मांगे जाने के दौर में कोई बच्चो को टॉफी, अन्न, पैसा देता दिखाई देता है तो कोई उन बच्चो को दान देने के लिए पूर्णिमा के दिन के लिए टहलाते हुए दिखाई दे जाते है।तमाम लोगो के द्वारा आए दिन टहलाते रहने पर बच्चे दूसरे दिन उस दुकान मकान पर पहुंचने में भी संकोच करते दिखाई दे जाते है।बच्चो के द्वारा वर्तमान में टेसू टेूसू आए,टेसू मेरो रंग बिरंगो, भाग खाके आयौ है,टेसू मेरो चटर मटर पटर करे टेसू मेरो दान लेकेंइए टरे,टेसू को दे दों फटो पजमा,टेसू आओ टेशन ते टूसे ने ले लेई झैंझी की पुच्ची,टेसू जाके यही अडा घर घर मांगे दही बडा जैसे तोतले स्वर में गीत सुनाई पड रहे है।

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