प्रपोज डे पर कवि विष्णु सक्सेना की एक रचना

अश्क आंखों से आज बहने दो,
अपना हर दर्द मुझको सहने दो,
उम्र भर तुमसे जो न कह पाया
आज वो बात मुझको कहने दो।

आ निकल और बढ़ के देख ज़रा,
तू ज़माने से लड़ के देख ज़रा,
एक सागर है प्यार का मुझमे-
मेरी आँखों में पढ़ के देख ज़रा।

कवि- विष्णु सक्सेना

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