Hamara Hathras

अकबर सिंह अकेला की एक कविता –

वर्षा झमझम हो रही,
मौसम भी परवान।
हवा निराली चल रही,
पंछी गाउत गान।।
दिन में अँधियारी झुकी,
बिल्कुल रात समान।
लुका छिपी बदरा करें,
सूरज अंतर ध्यान।।
सांय काल में लग रहा,
कबहुं न बरसो नीर |
धूप खिली राहत मिली,
बदलो रुखहिं समीर ||

अकबर सिंह अकेला
मानिकपुर, जलेसर रोड,
(हाथरस) |

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