हाथरस 20 फरवरी | शिव आराधना कई प्रकार से की जाती है। इसमे रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है। इससे महादेव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव का वैदिक मंत्रों के द्वारा अभिषेक। मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से शिवभक्त की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इससे रोगों का भी नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। रुद्राभिषेक यदि सावन मास, शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और प्रदोष पर किया जाए तो ज्यादा फलदायी होता है।
एक बार महादेव नंदी पर सवार होकर विहार कर रहे थे। देवी पार्वती ने मृत्युलोक में महादेव का अभिषेक और पूजा करते लोगों को देखकर भोलेनाथ से पूछा कि मृत्युलोक में कैलाशपति की पूजा क्यों की जाती है। तब महादेव ने कहा कि जो भक्त शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ। जिस मनोकामना के लिए भक्त रुद्राभिषेक करता है उसकी वह मनोकामना पूरी होती है।
जलाभिषेक
सभी तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए महादेव का जलाभिषेक करें। जलाभिषेक करते समय भोलेनाथ के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें। तांबे के लोटे पर कुमकुम लगाकर जल भरें। ‘ओम इंद्राय नम:’ का जप करते हुए लोटे पर मौली बांधे। साथ में ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करें। फूल चढ़ाएं और जल की पतली धार से रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ‘ओम तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा’ मंत्र का जप करें।
दूग्धाभिषेक
भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए दूग्धाभिषेक करना चाहिए। दूग्धाभिषेक करते समय महादेव के प्रकाशमय स्वरूप का ध्यान करना चाहिए। तांबे के लोटे पर कुमकुम लगाकर ‘ओम श्री कामधेनवे नम:’ का जप करते हुए मौली बांधे। ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूल चढ़ाएं। दूध की पतली धार से रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ‘ओम सकल लोकैक गुरुर्वै नम:’ मंत्र का जप करें। शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
फलों के रस से अभिषेक
धन लाभ और कर्ज से मुक्ति के लिए शिवलिंग का फलों के रस से अभिषेक करना चाहिए। फलों के रस से अभिषेक करते समय महादेव के नील कंठ स्वरूप का ध्यान करना चाहिए। तांबे के लोटे पर कुमकुम लगाकर ‘ओम कुबेराय नम:’ मंत्र का जप करते हुए मौली बांधना चाहिए। ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूल अर्पित करना चाहिए। फलों के रस की पतली धार से रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ‘ओम ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा’ मंत्र का जप करें। शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
सरसों के तेल से अभिषेक
ग्रहों की बाधा के निवारण के लिए शिवलिंग का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए। सरसों के तेल से अभिषेक करते समय भोलेनाथ के प्रलयंकर स्वरुप का ध्यान करना चाहिए। तांबे के लोटे पर कुमकुम लगाकर ‘ओम भं भैरवाय नम:’ का जप करते हुए मौली बांधना चाहिए। ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूल समर्पित करना चाहिए। तांबे के लोटे में सरसों के तेल भरकर उससे पतली धार बनाकर रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ‘ओम नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा’ मंत्र का जप करें। शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
काले तिल से अभिषेक
शनि दोष की शांति, तंत्र बाधा नाश और बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें। काले तिल से अभिषेक करते समय भोलेनाथ के नीलवर्ण स्वरुप का ध्यान करें। ‘ओम नम: शिवाय’ का जप करते हुए फूल समर्पित करें। काले तिल की धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें। इस दौरान ‘ओम क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम:’ मंत्र का जप करें। शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाएं।
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