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निलंबित DSP ऋषिकांत शुक्ला पर विजिलेंस का शिकंजा, 100 नहीं बल्कि 200-300 करोड़ की अवैध संपत्ति बनाई, कानपुर और लखनऊ समेत कई शहरों में बेनामी संपत्ति, 33 कंपनियों के जरिये काले धन को सफेद करने का आरोप, जांच जारी

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कानपुर 04 नवंबर । कानपुर के निलंबित डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला एक विशाल भ्रष्टाचार प्रकरण के केंद्र में आ गए हैं। उनके खिलाफ आय से कई गुना अधिक अवैध संपत्ति अर्जित करने, बेनामी संपत्तियाँ बनाने और काला धन ठेकेदारी व जमीन कब्जाने के माध्यम से कमाने के गंभीर आरोप सिद्ध होते दिखाई दे रहे हैं। कानपुर पुलिस कमिश्नरेट द्वारा गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि शुक्ला ने दरोगा के पद पर रहते हुए ही करोड़ों की गैरकानूनी संपत्ति खड़ी कर ली थी। जांच में सामने आया है कि उनकी घोषित आय के विपरीत, शुक्ला ने 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कानपुर, लखनऊ, जालौन, मैनपुरी, उन्नाव, नोएडा और चंडीगढ़ सहित कई शहरों में अर्जित की। कानपुर के आर्यनगर में 11 दुकानें, राजधानी लखनऊ के नवाबगंज और कानपुर रोड पर लाखों–करोड़ों की कीमत वाली जमीनें, तथा नोएडा व चंडीगढ़ में भी कीमती प्रॉपर्टी के नेटवर्क की पुष्टि हुई है। इतना ही नहीं, जांच में पाया गया कि डीएसपी शुक्ला के पुत्र पर भी 33 फर्जी कंपनियों के माध्यम से काले धन को सफेद करने का आरोप है। इन कंपनियों के जरिए रियल एस्टेट और निर्माण ठेकों में भारी धन का खेल किया गया। कई संपत्तियाँ उन्होंने अपने कुछ चुनिंदा करीबियों और साझेदारों के नाम कर रखी थीं ताकि सरकारी निगरानी से बचा जा सके।

10 सालों से अधिक समय तक कानपुर में तैनात रहे

ऋषिकांत शुक्ला का कानपुर नगर से गहरा नाता रहा है। जानकारी के मुताबिक, वे साल 1998 से 2006 तक और उसके बाद दिसंबर 2006 से 2009 तक, कुल मिलाकर 10 सालों से अधिक समय तक कानपुर में तैनात रहे। यह खुलासा तब हुआ जब उनकी वित्तीय स्थिति और आय स्रोतों की जांच की गई। आनन-फानन में गृह विभाग ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में DSP को निलंबित कर विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं।

पुलिस सेवा से बर्खास्त करने की मांग

शिकायतकर्ता द्वारा गृह विभाग को दिए गए प्रार्थना पत्र में यह कहा गया है कि एसओजी में तैनाती के दौरान शुक्ला सीधे तौर पर ठेकेदारी, कब्जेदारी, जमीन विवाद निपटाने और अपराधियों से सांठगांठ कर अपना आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने में लगे रहे। शिकायतकर्ता ने शुक्ला को न सिर्फ निलंबित बल्कि पुलिस सेवा से बर्खास्त करने की मांग की है। वहीं एसआईटी की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि डीएसपी शुक्ला ने अपने अधिकार क्षेत्र में अपराध नियंत्रण एवं कानून-व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने में गंभीर लापरवाही बरती है तथा अपने आचरण से पुलिस विभाग की प्रतिष्ठा और छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया है।

200–300 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है आंकड़ा

गृह विभाग ने इस पूरे मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को सस्पेंड कर दिया है और उनके खिलाफ विजिलेंस जांच एवं विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो शुक्ला की संपत्तियों का दायरा 100 करोड़ रुपये के आंकड़े से काफी बढ़कर 200–300 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है, जिसकी तहकीकात की जा रही है। जांच एजेंसियों ने रियल एस्टेट से जुड़े कारोबारियों और अन्य सहयोगियों के नेटवर्क पर भी सख्ती बढ़ा दी है। इस कार्रवाई को प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम माना जा रहा है और पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

अपराधियों को संरक्षण देकर कमाई अवैध संपत्ति

पुलिस आयुक्त कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार अखिलेश दुबे शहर में एक संगठित गिरोह का सरगना है। इस गिरोह पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराने, जबरन वसूली करने और जमीनों पर अवैध कब्जा जमाने जैसे अपराधों के आरोप हैं। जांच में यह भी उजागर हुआ कि दुबे का कुछ पुलिस अधिकारियों, कानपुर विकास प्राधिकरण (KDA) और अन्य सरकारी विभागों के साथ गठजोड़ था। यह सांठगांठ अपराधियों को संरक्षण देने और लाभ कमाने का माध्यम बनी।

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