कश्मीर 06 जून । हाथ में तिरंगा, चेहरे पर गर्व… यह दृश्य किसी भारतीय का हृदय गर्व से भरने के लिए पर्याप्त था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज — चिनाब ब्रिज — का उद्घाटन किया। यह पुल केवल एक संरचना नहीं, बल्कि एक संघर्ष, समर्पण और संकल्प की प्रतीक बन गया है, जो भारत के तकनीकी कौशल और आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रधानमंत्री के साथ कई दिग्गज नेता रहे उपस्थित
इस ऐतिहासिक अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी उपस्थित रहे। उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी जब हाथ में तिरंगा लेकर ब्रिज पर आगे बढ़े, तो वह दृश्य हर देशवासी के लिए प्रेरणा बन गया।
‘कुछ भी असंभव नहीं’ का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की यह उपस्थिति केवल औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक सशक्त भारत का संदेश था — एक ऐसा भारत जो पहाड़ों को चीरकर पुल बना सकता है, और कठिन से कठिन भूगोल को भी विकास के रास्ते में बदल सकता है।
एक दिन, दो ऐतिहासिक पुल
चिनाब ब्रिज के उद्घाटन के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में अंजी नदी पर भारत के पहले केबल-स्टेड रेलवे पुल का भी उद्घाटन किया। ये दोनों पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा हैं, जो जम्मू-कश्मीर को हर मौसम में श्रीनगर से जोड़ने का कार्य करेगी।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा “6 जून, जम्मू-कश्मीर के मेरे भाइयों और बहनों के लिए वाकई एक खास दिन है। 46,000 करोड़ रुपये की लागत वाली प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया जा रहा है, जिसका लोगों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।” उन्होंने आगे कहा “चिनाब ब्रिज वास्तुकला की असाधारण उपलब्धि है और अंजी ब्रिज जैसे निर्माण चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में हमारी इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण हैं। ये परियोजनाएं न केवल संपर्क को मजबूत करेंगी, बल्कि श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन के माध्यम से पर्यटन और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा देंगी।” आज भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि नामुमकिन हमारे शब्दकोश में नहीं है। चिनाब ब्रिज न सिर्फ़ जम्मू-कश्मीर के लिए सौगात है, बल्कि भारत के हर नागरिक के लिए गर्व का प्रतीक है।