
नई दिल्ली 02 दिसंबर । बच्चों की संदिग्ध मौतों के मामलों में खांसी की दवा (कफ सिरप) को जिम्मेदार मानते हुए केंद्र सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है। राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 700 से अधिक खांसी की दवा बनाने वाली कंपनियों की सख्त जांच और ऑडिट किया गया है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लिखित जवाब में कहा कि बच्चों की मौत की सूचना मिलने पर जांच तुरंत शुरू की गई। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के बाद विशेषज्ञों की टीम जांच के लिए भेजी गई थी। टीम ने डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स से 19 दवाओं के सैंपल लिए, जिनमें से 15 दवाएं सुरक्षित पाई गईं और 4 दवाएं निम्न गुणवत्ता वाली मिलीं। जांच में पाया गया कि तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी द्वारा बनाई गई ‘कोल्डरिफ’ सिरप में डाईइथलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक जहरीले केमिकल की मात्रा 46.28% थी। यही सिरप उन बच्चों ने सेवन किया था जिनकी मौत हुई। कंपनी के प्लांट में गंदगी और अस्वच्छता के कारण दवा निर्माण नियमों का उल्लंघन भी पाया गया। इसके बाद कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया और आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
जहां-जहां यह सिरप सप्लाई हुआ था मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और पुड्डुचेरी उन राज्यों ने तुरंत दवा की सप्लाई पर रोक लगाई और बाजार में मौजूद स्टॉक वापस मंगाया। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि बच्चों में खांसी की दवाओं के इस्तेमाल में सतर्कता बरती जाए और दवाओं की टेस्टिंग व निगरानी सख्ती से लागू हो। इसके साथ ही भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने नया नियम बनाया है कि अब हर सिरप के बाजार में आने से पहले DEG और एथाइलीन ग्लाइकॉल की टेस्टिंग अनिवार्य होगी।














