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सिकंदराराऊ (हसायन) 17 जुलाई । उत्तर प्रदेश में शिक्षण संस्थानों के हो रहे विलय पर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता पुष्पेन्द्रवीर प्रताप सिंह ने गहरी चिंता व्यक्त की है। कस्बा हसायन निवासी अधिवक्ता ने सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के नाम एक जागरूकता संदेश जारी करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा गांवों में प्राथमिक स्कूलों को आपस में मिलाकर बंद किया जाना एक चिंताजनक कदम है, जबकि दूसरी ओर गांव-गांव में शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार प्रशासनिक दक्षता और संसाधनों के बेहतर उपयोग के नाम पर विद्यालयों का विलय कर रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों, खासकर बालिकाओं की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि पहले जहां सीमित जनसंख्या के बावजूद स्कूल खोले गए थे, अब जनसंख्या कई गुना बढ़ने के बावजूद स्कूलों को समेटा जा रहा है।

पुष्पेन्द्रवीर प्रताप सिंह ने शिक्षा और नशे की तुलना करते हुए सवाल उठाया कि यदि सरकार विकास के नाम पर नशे को बढ़ावा दे रही है और शिक्षा को पीछे धकेल रही है, तो यह समाज को किस दिशा में ले जाएगा? उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज की रीढ़ होती है और यदि बच्चा किताब लेकर स्कूल जाएगा, तभी गांव बदलेगा, समाज बदलेगा और राष्ट्र बदलेगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य के कई प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षित एवं प्रशिक्षित शिक्षक होने के बावजूद उन्हें बंद किया जा रहा है, जिससे गरीब और निम्न वर्ग के बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, शराब के ठेके धड़ल्ले से खोले जा रहे हैं, जिससे सामाजिक और पारिवारिक ताने-बाने पर भी असर पड़ रहा है। अधिवक्ता ने अंत में सरकार से अपील की कि वह शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे और गांवों में स्कूलों को बंद करने की बजाय नए विद्यालय खोले, ताकि हर बच्चे को समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

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