नई दिल्ली 29 जून । भारत सरकार ने देश की 16वीं जनगणना की तैयारियों को औपचारिक रूप दे दिया है। रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त श्री मृत्युंजय कुमार नारायण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि पहला चरण यानी ‘मकान सूचीकरण एवं हाउसिंग जनगणना’ 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा। इसके बाद दूसरा चरण ‘जनसंख्या गणना’ 1 फरवरी 2027 से प्रारंभ होगा।
दो चरणों में होगा कार्य
जनगणना दो मुख्य चरणों में संपन्न होगी:
- पहला चरण – हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO) : इस चरण में प्रत्येक घर की स्थिति, भौतिक संरचना, सुविधाओं और संसाधनों की जानकारी जुटाई जाएगी। इसमें घर की दीवार, छत और फर्श की सामग्री, कमरों की संख्या, रहने वालों की संख्या, शादीशुदा जोड़े, मुखिया की जाति, लिंग और सामाजिक स्थिति जैसे सवाल पूछे जाएंगे।
- दूसरा चरण – जनसंख्या गणना : यह चरण 1 फरवरी 2027 से प्रारंभ होगा। इसमें प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक जानकारी संकलित की जाएगी।
पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी जनगणना
इस बार की जनगणना तकनीकी दृष्टिकोण से एक ऐतिहासिक बदलाव लेकर आएगी। सरकार इसे पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित करेगी। मोबाइल ऐप के ज़रिये आंकड़े एकत्र किए जाएंगे और नागरिकों को स्वयं जानकारी दर्ज करने की सुविधा भी दी जाएगी।
34 लाख से अधिक कर्मचारी होंगे तैनात
सरकार के अनुसार, इस व्यापक प्रक्रिया के लिए 34 लाख से अधिक गणनाकार और पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे। साथ ही 1.3 लाख से अधिक जनगणना अधिकारी कार्य में लगाए जाएंगे। जनगणना के कार्य को समय पर और सुव्यवस्थित ढंग से पूरा करने हेतु राज्यों और जिला प्रशासन से गणनाकारों की शीघ्र नियुक्ति सुनिश्चित करने को कहा गया है।
जातिगत आंकड़े भी होंगे शामिल
सरकार ने इस बार जातिगत जानकारी भी एकत्रित करने का निर्णय लिया है, जो लंबे समय से सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों की एक प्रमुख मांग रही है। इससे देश की सामाजिक-आर्थिक योजनाओं की आधारभूत संरचना को और अधिक सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी।
नागरिकों से पूछे जाएंगे ये प्रमुख सवाल
- घर में मोबाइल, टीवी, रेडियो, इंटरनेट, साइकिल/बाइक/कार है या नहीं?
- खाना बनाने के लिए किस ईंधन का उपयोग होता है (LPG, लकड़ी, गोबर आदि)?
- पीने का पानी कहाँ से आता है?
- शौचालय, नहाने और खाना पकाने की सुविधा कैसी है?
- बिजली की उपलब्धता और स्रोत क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल जनगणना न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि आंकड़ों की सटीकता और विश्लेषण क्षमता को भी बढ़ाएगी। भारत की यह जनगणना सामाजिक परिवर्तन के आकलन में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।