मथुरा 25 अक्टूबर । भारतीय संस्कृति लोगों में प्रेम-भाईचारा, सहानुभूति, परस्पर सम्मान की भावना का संदेश देती है। तीज-त्योहार भारतीय गंगा-जमुनी संस्कृति का ही प्रतीक हैं। प्रत्येक तीज-त्योहार का अपना अलग महत्व तथा संदेश है। त्योहार हमारे जीवन में न केवल नवीनता लाते हैं बल्कि हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहने में भी मदद करते हैं लिहाजा अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद लीजिए। स्वयं खुश रहिए तथा दूसरों की खुशी का माध्यम भी बनिए यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने वी शेयर, वी केयर 5.0 प्रदर्शनी के शुभारम्भ के अवसर पर छात्र-छात्राओं से कहीं।
दीपावली का त्योहार करीब है, इसे देखते हुए जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में वी शेयर, वी केयर 5.0 प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में संस्थान के प्राध्यापकों, छात्र-छात्राओं और कर्मचारियों ने अपने घरों की उन वस्तुओं को जगह दी है जोकि उनके लिए बेशक अनुपयुक्त हों लेकिन दूसरे लोगों के लिए बड़े काम की हैं। प्रदर्शनी का शुभारम्भ चम्पा अग्रवाल इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राकेश कुमार माहेश्वरी ने किया। डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से छात्र-छात्राओं को यह सीख दी जाती है कि कैसे हम एक-दूसरे का सहयोग कर सकते हैं। यह प्रदर्शनी संस्थान के एनवायरमेंट और सोशल क्लब के सदस्यों द्वारा लगाई गई है, जिसका मकसद प्यार और दया का भाव व्यक्त कर दूसरों की मदद करना तथा अपने अहंकार को दूर कर कुछ न कुछ यहां से लेना अनिवार्य है।
इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो. नीता अवस्थी ने कहा कि प्रत्येक तीज-त्योहार समरसता का सूचक है। युवा पीढ़ी को ज्ञान और शिक्षा से समृद्ध करने के साथ ही उन्हें सामाजिक क्षेत्र में सेवाभाव के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाना भी जरूरी है। प्रदर्शनी के संयोजक सतेन्द्र सिंह, बृजेश ग्रुप्ता तथा डॉ. शशी शेखर ने बताया कि यह अभिनव कार्य संस्थान द्वारा पिछले पांच वर्षों से किया जा रहा है। दीपावली के समय लगने वाली वी शेयर, वी केयर 5.0 प्रदर्शनी को लेकर आसपास के लोगों में भी काफी उत्सुकता रहती है।
आरके एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने जी.एल. बजाज मथुरा द्वारा लगाई गई वी शेयर, वी केयर 5.0 प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि इससे छात्र-छात्राओं को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा का मकसद सिर्फ डिग्री लेना ही नहीं बल्कि उन्नतशील एवं प्रगतिशील समाज के लिए उनके द्वारा कुछ अच्छा करना भी है। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति समाज की रीढ़ होती है। युवा समाज के जीवन मूल्यों का प्रतीक होते हैं लिहाजा उनकी आंखों में सपने देखने की ज्योति और शक्ति देना हर शिक्षक का कर्तव्य होना चाहिए।