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अलीगढ़ 24 अक्टूबर । खैर विधानसभा के लिए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सुरेंद्र दिलेर को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह ने आज उपचुनाव के लिए राजस्थान से एक और उत्तर प्रदेश से सात प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अलीगढ़ जनपद की खैर विधानसभा से पार्टी ने सुरेंद्र दिलेर को टिकट दिया है। सुरेंद्र दिलेर हाथरस के सांसद रहे राजवीर सिंह दिलेर के पुत्र हैं। इनके बाबा किशनलाल दिलेर भी हाथरस के सांसद रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान हाथरस सांसद राजवीर सिंह दिलेर का निधन हो गया था। खैर विधायक और यूपी सरकार में मंत्री अनूप प्रधान को हाथरस से पार्टी ने चुनाव लड़ाया और वह सांसद चुन गए, जिससे खैर विधानसभा सीट खाली हो गई और इस पर उपचुनाव कराया जा रहा है। बसपा ने पहले ही डॉ पहल सिंह को टिकट दे दी है, अब सपा के प्रत्याशी घोषित करने का इंतजार है। भाजपा से टिकिट लेने वालों की लंबी कतार थी। सुरेंद्र दिलेर ने दिग्गज नेताओं को पटखनी देते हुए भाजपा से टिकिट हासिल की। लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद राजवीर सिंह दिलेर की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई थी। ऐसे में सुरक्षित सीट खैर विधानसभा पर बीजेपी ने सहानुभूति लहर के बीच सुरेंद्र दिलेर को टिकट दी है।

25 अक्तूबर को भरेंगे पर्चा

भाजपा से खैर विधासभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर 25 अक्तूबर को नामांकन करेंगे। वह सुबह खैरेश्वर धाम पर भगवान महादेव के दर्शन करेंगे, उसके बाद पर्चा दाखिल करेंगे। नामांकन करने के बाद खैर विधानसभा का भ्रमण करेंगे।

खैर सीट का चुनावी इतिहास

अगर खैर सीट पर अब तक हुए चुनावों पर नजर रखी जाए तो साल 1967, 1974 और 1980 में कांग्रेस को यहां जीत मिली। इसके बाद साल 1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल के खाते में जीत आई। साल 1991 में रामलहर में यहां भाजपा का खाता खुला जब चौधरी महेंद्र सिंह को जीत मिली। इसके बाद 1993 में सीट जनता दल के पास चली गई और साल 1996 में भाजपा ने चौधरी चरण सिंह की बेटी ज्ञानवती को उम्मीदवार बनाया और ज्ञानवती जीत गईं। अब माना जा रहा है कि यह सीट कॉंग्रेस के खाते में जायेगी। यहां पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू की पुत्र वधु चारु कैन जो जाटव समुदाय से हैं और हाल ही मैं वह बसपा छोड़कर कॉंग्रेस में शामिल हुई हैं। 2022 के विधानसभा चुनावों में अनूप वाल्मीकि ने चारु कैन को हराया था।

अनूप प्रधान ने 23 साल बाद खिलाया था कमल

इसके साथ ही साल 2002 में बसपा से प्रमोद गौड़ जीते फिर 2007 में रालोद ने यह सीट अपने खाते में डाल ली। साल 2008 के परिसीमन के बाद खैर सीट सुरक्षित हो गई, लेकिन साल 2012 के चुनाव में भी रालोद को जीत मिली। इस सीट पर अनूप प्रधान ने 2017 में करीब 23 साल बाद कमल खिला दिया और फिर साल 2022 में भी अनूप प्रधान जीते।

यह है चुनाव कार्यक्रम

18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी, 25 अक्तूबर तक नामांकन, 28 अक्तूबर को नामांकन पत्रों की जांच, 30 अक्तूबर तक नाम वापसी, दोपहर बाद चुनाव चिन्ह आवंटन, 12 नवंबर को पोलिंग पार्टियां रवाना, 13 नवंबर को मतदान, 23 नवंबर को मतगणना।

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