मथुरा 27 सितंबर । राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अपने गठन के बाद से ही देश में वैश्विक स्तर के अनुरूप मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान दे रहा है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एन.एम.सी.) का मानना है कि यदि भावी चिकित्सकों को किताबी ज्ञान के साथ ही प्रयोगात्मक जानकारी अधिक दी जाए तो उसके और बेहतर परिणाम आ सकते हैं। शुक्रवार को के.डी. मेडिकल कॉलेज की मेडिकल एज्यूकेशन यूनिट द्वारा आयोजित तीन दिवसीय चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन एनएमसी की पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल द्वारा प्रतिभागी चिकित्सकों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर किया गया।
चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप से संसाधनों, पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा हमारे देश में कुशल चिकित्सकों की कमी है, इसी कमी को दूर करने के लिए ही राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और डीन डॉ. आर.के. अशोका ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में भावी चिकित्सकों में सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव लाकर ही परिवर्तन लाया जा सकता है। डॉ. अशोका ने चिकित्सा शिक्षा में वैश्विक स्तर की एकरूपता लाने के लिए ऐसी चिकित्सक प्रशिक्षण कार्यशालाओं को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण को हासिल करने के बाद प्रतिभागी चिकित्सक आने वाले समय में एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को प्रभावी ढंग से पढ़ाकर प्रशिक्षित कर सकेंगे। डॉ. अशोका ने सफल आयोजन हेतु सभी प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल का आभार माना।
तीन दिवसीय कार्यशाला के संयोजक डॉ. अमित कुमार जैन ने बताया कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में बदलाव आज की सामाजिक आवश्यकता एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप है। डॉ. जैन ने कार्यशाला की सफलता के लिए एनएमसी की पर्यवेक्षक डॉ. पूनम अग्रवाल तथा के.डी.एम.सी. के विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षकों डॉ. विक्रम शर्मा, डॉ. अम्बरीश कुमार, डॉ. तेजेन्दर सिंह, डॉ. आशुतोष कुमार, डॉ. गगन दीप, डॉ. मंजू पांडेय, डॉ. राजेश चौरसिया, डॉ. संगीता सिंह, डॉ. अमित अग्रवाल, डॉ. लीना गोयल, डॉ. शालिनी गांधी, डॉ. प्रणीता सिंह, डॉ. वंदना बाथम, डॉ. मोहर सिंह आदि के सहयोग की सराहना की।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने सभी प्रतिभागी चिकित्सा शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने प्रशिक्षण में जो कुछ भी अच्छा सीखा है, उसकी जानकारी मेडिकल छात्र-छात्राओं को देंगे तभी इसकी सार्थकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि चिकित्सा हो या कोई अन्य क्षेत्र युवा पीढ़ी का दृष्टिकोण बदल रहा है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम तथा पढ़ाई के तौर-तरीकों में बदलाव लाकर मेडिकल शिक्षा को और उदार बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।