माँ पर शिव कुमार ‘दीपक’ के मार्मिक दोहे
जननी करती उम्र भर ,
जीवन पथ आलोक ।
माँ के आगे क्षुद्र हैं ,
धरा, गगन , सुरलोक ।।-1
घाट-घाट का जल पिया,
बुझी न मन की...
सुरजीत मान जलईया सिंह की नई रचना ” प्रधान ”
पीठ पीछे जानता है
क्या क्या कहते लोग हैं?
सामने आता नहीं है
कोई भी रघुराज के।
जीतकर आया प्रधानी
रोब थानेदार का।
रोज दुगना बढ़ रहा है...
कवि डॉ. नितिन मिश्रा मेंडू, रोड हाथरस
http://youtu.be/Jv1xKf2_DqM
अकबर सिंह अकेला की एक कविता –
वर्षा झमझम हो रही,
मौसम भी परवान।
हवा निराली चल रही,
पंछी गाउत गान।।
दिन में अँधियारी झुकी,
बिल्कुल रात समान।
लुका छिपी बदरा करें,
सूरज अंतर ध्यान।।
सांय काल में लग...
मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता अवशेष मानवतावादी द्वारा
मंदसौर घटना पर एक ज्वलन्त कविता
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मंदसौर की घटना ने फिर से जनमानस हिला दिया।
तार तार मानवता कर दी दानवता को खिला दिया।।
आग क्रोध की...
अवशेष मानवतावादी का गीत – फिर भी ईश्वर के होने का होता है अहसास
ना तो कोई भी सबूत है
ना गवाह है पास।
फिर ईश्वर भी के होने का
होता है अहसास।।
तोड़ तोड़कर कण को हमने कण कण में तोड़ा।
फिर...
यशोधरा यादव ‘यशो’का एक नवगीत
लेखनी कुछ गीत लिख
दुःखित जन को प्रीति लिख .
कामनाओं की लता जब पुष्प से सज्जित हुई
यंत्रवत कर्मों से हटकर
प्रीति प्रतिबिम्बत हुई
छंद के...
शिव कुमार ‘दीपक’ की बाल रचना
झूला लेकर आया सावन ।
हरियाली ले वर्षा आयी ।
बच्चों ने ली मन अंगड़ाई ।।
दादुर पपिहा नाचे मोर ।
काली कोयल करे कनकोर ।।
धानी चूँदर...
कार के करिश्मे: काका हाथरसी
रोजाना हम बंबा पर ही घूमा करते
उस दिन पहुँचे नहर किनारे
वहाँ मिल गए बर्मन बाबू
बाँह गले में डाल कर लिया दिल पर काबू
कहने लगे-
क्यों...
कु० राखी सिंह शब्दिता द्वारा रचित सरस्वती वंदना
शारदे माँ शारदे तू , ज्ञान हम पर वार दे ।
दूर कर अज्ञान का तम, अब जहां को तार दे ।।
वंदना से आरती हो,...