सिकंदराराऊ 09 दिसम्बर । सोमवार की देर शाम नगर के मोहल्ला बगिया बारहसैनी अनल कॉलोनी स्थित यशोदा भवन पर शिव विवाह का आयोजन किया गया। बालाजी जागरण मंडल द्वारा विधि विधान के अनुसार शिव विवाह की प्रस्तुति की गई। भक्ति में लीन होकर श्रद्धालु भगवान शंकर की बारात में जमकर नाचे। कथा वाचक पंडित अरुण पचौरी ने शिव पार्वती विवाह का प्रसंग का वर्णन किया। विवाह प्रसंग को सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस दौरान शिव पार्वती विवाह की भव्य झांकी का चरित्र चित्रण किया गया। यह झांकी श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी रही, विवाह प्रसंग के दौरान शिव पार्वती की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए। देवाधिदेव शिव एवं माता पार्वती के इस विवाह में श्रद्धालु झूमकर विवाह गीत गाने लगे।
मुख्य यजमान रश्मि पाठक , शैंकी उपाध्याय , मानसी एवं उत्कर्षवर्ती पाठक द्वारा भगवान शंकर एवं मां पार्वती की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की गई। कथा वाचक पंडित अरुण पचौरी ने कहा कि पर्वत राज हिमालय की घोर तपस्या के बाद उनके घर अवतरित माता पार्वती बचपन से ही बाबा भोलेनाथ की अनन्य भक्त थीं, एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए। लेकिन माता पार्वती खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार कर लिया। शिव-पार्वती प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा वाचक ने कहा कि शिव पार्वती की आराधना भागवत का अभिन्न अंग है। इसके श्रवण से ही मनुष्य के सारे मानसिक व आत्मीय विकारों का अंत हो जाता है। उन्होंने कहा की ईश्वर के प्रति समर्पण भाव से ही प्रभु मिलते हैं। बताया कि भगवान की कथा जीवन जीना सिखाती है व सनातन धर्म के प्रति उनके जीवन में संस्कार गढ़ती है। वहीं कथा के दौरान श्री पचौरी ने अपने सहयोगियों के साथ भक्ति गीतों से समां बांध दिया। इस मौके पर श्रद्धालु शिव विवाह के मनोहारी कथा को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए।
इस अवसर पर विनय चतुर्वेदी , नरेश चतुर्वेदी, उत्कर्षवर्ती पाठक , अनंतदेव चतुर्वेदी , आर्यन ,हर्षित चतुर्वेदी, सिद्धार्थ चतुर्वेदी, कृष्णा भारद्वाज, वैभव शर्मा, रश्मि पाठक, रजनी पाठक, लवली चतुर्वेदी, पूनम दीक्षित ,ममता दीक्षित, रुचि शर्मा, संगम पचौरी, चंचल उपाध्याय, कामिनी, शीतल शर्मा, पल्लवी भारद्वाज, लवी भारद्वाज आदि मौजूद थे।













