
हाथरस 02 दिसंबर । जिलाधिकारी अतुल वत्स ने हाथरस में शांति एवं कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के उद्देश्य से भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। ये आदेश 1 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 तक प्रभावी रहेंगे। प्रशासन को सूचना मिली थी कि क्रिसमस, नव वर्ष, मकर संक्रांति, बसंत पंचमी तथा विभिन्न परीक्षाओं के दौरान कुछ असामाजिक तत्व, समूह या राजनीतिक दल धरना-प्रदर्शन, जुलूस या उकसावेपूर्ण गतिविधियों के माध्यम से माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। इसी संभावना को देखते हुए जनपद में व्यापक स्तर पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों, कार्यालयों या कलेक्ट्रेट परिसर में किसी प्रकार का हथियार लेकर नहीं चलेगा और न ही बिना पूर्व अनुमति के लाउडस्पीकर या ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करेगा। उत्तेजक भाषण, नारेबाजी, अफवाह फैलाना, भ्रामक समाचार प्रकाशित करना तथा ऐसे पोस्टर, कार्टून या सामग्री प्रसारित करना, जिससे साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका हो, पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। किसी भी सार्वजनिक स्थल पर पाँच या पाँच से अधिक व्यक्तियों का समूह बनाना भी वर्जित किया गया है, जबकि धार्मिक प्रार्थना सभाओं और सरकारी-गैरसरकारी ड्यूटी पर लगे कर्मियों को इस प्रतिबंध से छूट दी गई है। आदेश में यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति रेल, सड़क यातायात, बिजली, जल आपूर्ति, शिक्षण संस्थानों या दुकानों के सामान्य संचालन में बाधा नहीं पहुँचाएगा और न ही किसी को ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा। वहीं परीक्षाओं के दौरान परीक्षा केन्द्रों के 200 मीटर की परिधि में विशेष रूप से कड़े प्रतिबंध लागू किए गए हैं, जिनमें भीड़ एकत्र करने, धरना-प्रदर्शन, लाउडस्पीकर, हथियारों के प्रवेश, फोटो कॉपियर व स्कैनर के संचालन तथा किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ले जाने पर रोक शामिल है। परीक्षा से जुड़े कार्मिकों को धमकी देना, अनुचित हस्तक्षेप करना, अफवाह फैलाना और नकल का प्रयास करना भी दंडनीय माना जाएगा। जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश एकपक्षीय रूप से पारित किया गया है क्योंकि व्यक्तिगत रूप से सभी तक तामील कराना संभव नहीं था। आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा।














