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सादाबाद 07 दिसंबर । श्री कार्त्तवीर्य नक्षत्र ज्योतिष संस्थान् के संस्थापक आचार्य विनोद शास्त्री ने सूर्य के ग्रह परिवर्तन और चाल के बारे में अध्ययन कर जानकारी हमारा हाथरस के साथ साझा की है। उन्होंने ने बताया है कि वर्तमान ग्रह गोचरीय अवस्थाएं एवं खगोलीय घटनाएं घटने जा रही हैं, जो हमारे ब्रह्मांड में बन रही हैं वह बड़ी ही दिव्य और रोचक हैं। क्योंकि सूर्य और देवगुरु बृहस्पति अपने स्थान से सबसे दूर तो होंगे ही लेकिन देवगुरु बृहस्पति हमारी पृथ्वी के सबसे निकट से होकर गुजरेंगे यह नजारा आप नग्न आंखों से देखेंगे। वर्तमान में सूर्य वृश्चिक राशि के 21अंश 59 कला का भोग करेंगे तव ही देवगुरु बृहस्पति भी वक्री चाल से चलते हुए वृषभ राशि में 21अंश 59 कला का भोग दिनांक 7/8 दिसंबर की रात्रि को 12:54 पर करेंगे। इस दौरान देवगुरु बृहस्पति और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाएगी और पृथ्वी के एक ओर सूर्य तो दूसरी ओर देवगुरु बृहस्पति होंगे। यही वह दुर्लभ पल होगा जब हम इस दुर्लभ नजारे को अपनी नग्न आंखों से देख सकेंगे, क्योंकि देवगुरु बृहस्पति हमारे पृथ्वी के सबसे निकट और चमकीला दिखाई देंगे। यह नजारा आपको सूर्यास्त के लगभग आधे घंटे के बाद पूर्व दिशा से एक चमकदार तारे के रूप में देवगुरु बृहस्पति दिखाई देंगे और लगभग रात्रि के 12:20 पर बे हमारे ठीक सिर के ऊपर दिखाई देंगे तथा रात्रि के 12:54 पर यह पृथ्वी के सबसे निकट होंगे तथा सूर्योदय से पूर्व तक ये आपको पश्चिम आकाश में दिखाई देंगे। देवगुरु बृहस्पति को पृथ्वी के सबसे निकट होने का नजारा आप नग्न आंखों से भली-भांति देख सकेंगे। ऐसी खगोलीय घटना लगभग 1 वर्ष में एक बार बनती है जब सूर्य और बृहस्पति के बीच में पृथ्वी आ जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य और देवगुरु बृहस्पति का सम सप्तक का योग बनेगा। इस दौरान जन्म लेने वाला जातक परम धर्मात्मा और राजा होने का योग बनेगा।

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